भोपाल। मौसम वैज्ञानिक आने वाले मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए करोड़ों रुपए की मशीनों का इस्तेमाल करते हैं परंतु किसान प्रकृति प्रदत्त संकेतों से भविष्यवाणियों का अनुमान लगा लेता है। समय से पहले आम का बौर बताता है कि सूखा पड़ने वाला है। टिटहरी पक्षी की प्रजनन प्रक्रिया से पता चलता है कि बारिश कैसी होगी। इस बार टिटहरी पक्षी ने 4 अंडे दिए हैं, अत: प्रकृति का संकेत है कि बुंदेलखंड में इस साल भरपूर बारिश होगी।
टिटहरी के अंडों से बारिश का अचूक संकेत मिलता है
दमोह के सरकारी स्कूल में टिटहरी ने अंडे दिेए हैं। यहां के गार्ड ने बताया कि ग्राउंड में तीन जगह टिटहरी पक्षी ने अंडे दिए हैं, जिनमें एक जगह तो बच्चे हो गए हैं, बाकी दो जगह अभी अंडे रखे हुए हैं। गर्मी अधिक पड़ने की वजह से भी टिटहरी अंडों के आसपास ही रहती है। जैसे ही ठंडक होती है, ग्राउंड में घूमने लगती है। उसने बताया कि इस बार अच्छी बारिश की संभावना है। कालू मिस्त्री ने बताया कि यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। खासकर किसान अंडों की संख्या के आधार पर बारिश होने का अंदाजा लगाते हैं।
टीले पर अंडे तो बारिश ज्यादा
लंबे समय तक टिटहरी के अंडों के स्थान और उनकी संख्या के विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि यदि टिटहरी ऊंचे स्थान पर अंडे रखती है तो तेज बारिश होती है। यदि टिटहरी निचले स्थान पर अंडे देती है तो उस साल कम बारिश होती है। यदि तीन अंडे हों तो तीन माह और चार हों तो चार माह बारिश का अनुमान लगाया जाता है। अंडों का मुंह जमीन की ओर होने पर मूसलाधार बारिश, समतल स्थान पर रखे होने पर औसत बारिश और किसी गड्ढे में अंडे दिए जाने पर सूखा पडऩे का अनुमान लगाया जाता है।
प्री मानसून बारिश की भविष्यवाणी भी करती है
टिटहरी अप्रैल से जून के बीच 4 से 6 तक अंडे देती है। यदि यह जल्द अंडे दे तो इसे समय पूर्व मानसून का संकेत माना जाता है। इस बार ग्रामीण क्षेत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अलग- अलग जगहों पर टिटहरी के चार-चार अंडे देखे गए हैं जिससे चार माह अच्छी बारिश का अंदाजा लगाया जा रहा है। सामान्य तौर पर टिटहरी के अंडों से 18 से 20 दिन के अंदर बच्चे निकल आते हैं। नर व मादा टिटहरी मिलकर दिन रात अपने अंडों की रक्षा करते हैं।
टिटहरी पक्षी कैसा होता है
टिटहरी बेहद चौकन्ना पक्षी है जो अपने पास आने वाले किसी भी जीव जंतु, मनुष्य को देखकर तीखा शोर करते हैं। इनकी उम्र करीब 6-15 साल मानी गई है। इनकी आंखें व चोंच का हिस्सा लाल होता है।
मौसम वैज्ञानिक इसका खंडन करते हैं
मौसम विभाग ऐसे अनुमान को नहीं मानता है। उसके हिसाब से तकनीकी के आधार पर जो रिजल्ट आता है, वहीं सही होता है। कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक मनोज अहिरवार के मुताबिक यह किसानों का अनुमान है और उनकी मान्यता है, विज्ञान में इसके लिए कोई जगह नहीं है। हालांकि इस बार मानसून जल्द आएगा और अच्छी बारिश भी होती है।