भोपाल। मध्यप्रदेश में हुआ 3000 करोड़ का ई-टेंडर घोटाला अब फिर सुर्खियों में आ गया है। ईओडब्ल्यू ने अब भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के कथित ऐजेंट मुकेश शर्मा को जांच की जद में ले लिया है। ईओडब्ल्यू ने बयान दर्ज कराने के लिए मुकेश को बुलाया परंतु वो नहीं आया। कहा जा रहा है कि मुकेश अपनी पॉलिटिकल एप्रोच का फायदा उठा रहा है।
मुकेश शर्मा JMC और GVPR का प्रतिनिधि
सूत्रों के मुताबिक घोटाले में मुंबई की जेएमसी प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड और हैदराबाद की जीवीपीआर इंजीनियरिंग कंपनी पर आरोप हैं, जिनके लिए मध्यप्रदेश में मुकेश शर्मा प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। मुकेश शर्मा का नाम कुछ साल पहले आयकर की एक कार्रवाई के दौरान भी सामने आया था। बताया जाता है कि वह एक भाजपा नेता का करीबी है। शर्मा के माध्यम से जेएमसी प्रोजेक्ट और जीवीपीआर कंपनियों को मिले टेंडरों को लेकर ईओडब्ल्यू जांच करने जा रही है, जिसके लिए उसके बयान होने हैं। उसे लिखित में भी सूचना भेजी गई, लेकिन राजनीतिक पहुंच के सहारे वह टालमटोल कर रहा है।
कौन है मुकेश शर्मा, नरोत्तम मिश्रा से नाम कैसे जुड़ा
आयकर विभाग ने 21 जुलाई 2008 को एक मुकेश शर्मा नामक व्यक्ति के यहां छापा मारा था। उसके यहां से बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद हुए, जिससे यह पता चला कि नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा इन्दौर में सीवेज प्रोजेक्ट के दिए गए ठेके में मुकेश ने लाइजनिंग एजेन्ट की भूमिका निभाई थी। दस्तावेजों से यह भी पता चला कि यह ठेका मे. नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड और मे. सिम्पलैक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. को दिया गया था। आयकर विभाग ने उस समय दावा किया था कि इसके लिए नगरीय प्रशासन मंत्री नरोत्तम मिश्रा को क्रमश: 16 करोड़ 20 लाख और 10 करोड़ 50 लाख रुपए कंपनियों से मिले थे। बाद में यह आरोप प्रमाणित नहीं हुआ।
कमलनाथ चाहते हैं जल्द चालान पेश हो
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले सप्ताह ई-टेंडर घोटाले को लेकर ईओडब्ल्यू के आला अफसरों के साथ समीक्षा बैठक भी की थी। इसके बाद से ही जांच में तेजी आई है। बताया जा रहा है कि घोटाले में अब तक हुई जांच में गिरफ्तार आरोपितों के खिलाफ अदालती कार्रवाई पूरी करने के संकेत हैं। घोटाले में शामिल अन्य आरोपियों की जांच समानांतर रूप से जारी रखते हुए अन्य आरोपियों के खिलाफ पूरक चालान पेश करने की कार्रवाई की जा सकेगी।