इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक व्यक्ति के खिलाफ हरिजन एक्ट शब्द कहे जाने पर दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त कर दिया। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हरिजन शब्द का उपयोग सामान्य रूप से बोलचाल में किया गया है। किसी को ठेस पहुंचाने के मकसद से नहीं किया गया है। इसलिए पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त किया जाता है।
पुलिस ने अजीतकुमार डोडिया नामक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। अजीत ने एक कार्यक्रम में हरिजन एक्ट शब्द का उपयोग किया था। इसका वीडियो वायरल हुआ। प्रभुलाल नामक व्यक्ति ने यह वीडियो देखा तो इसकी शिकायत पुलिस में कर दी। एफआईआर में लिखवाया कि हरिजन एक्ट के बजाय अब एससी/एसटी एक्ट शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। हरिजन एक्ट शब्द का उपयोग करने से मुझे और दलित वर्ग को शर्मिंदगी महसूस हुई। इस एफआईआर को अजीत कुमार ने अधिवक्ता अमिताभ उपाध्याय के जरिए हाई कोर्ट में चुनौती दी।
रामचरित मानस का किया उल्लेख
याचिका में उल्लेख किया गया कि हरिजन शब्द का उपयोग तो रामचरित मानस में भी किया गया है। अजीत ने जिस कार्यक्रम में यह शब्द बोला, उसे देखने के बाद किसी अन्य ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई। किसी वर्ग विशेष को ठेस पहुंचाने के मकसद से यह शब्द कतई नहीं बोला गया था। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद एफआईआर निरस्त कर दी।