नाबालिग लड़की से शादी को कानूनी मान्यता, रेप का मामला खारिज: हाईकोर्ट | NATIONAL NEWS

यदि कोई नाबालिग लड़की से विवाह करता है तो ऐसा विवाह अवैध माना जाता है और दूल्हे के खिलाफ बलात्कार का मामला भी दर्ज होता है परंतु यदि नाबालिग लड़की, बालिग होने के बाद कोर्ट में बयान बदल दे तो क्या उनकी शादी को वैध माना जा सकता है। क्या ऐसी स्थिति में लड़की के अपहरण और रेप का मामला खाजिर हो जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले में इन सवालों के जवाब समाहित हैं। 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 56 वर्षीय वकील की एक नाबालिग लड़की के साथ हुई शादी को वैध ठहराते हुए अनोखा फैसला सुनाया है। लड़की ने 18 साल की होने के बाद अपने वकील पति साथ रहने की इच्छा जताई, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी। जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की खंडपीठ ने वकील की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। अपनी याचिका में वकील ने 14 साल की लड़की से शादी करने पर उसके खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले को रद्द करने की अपील की थी।

लड़की को दादा-दादी ने शादी के लिए मजबूर किया था

शिकायत करने वाली लड़की अब बालिग हो चुकी है। उसकी 2014 में एक वकील से शादी हुई थी तब उसके पति की उम्र 52 साल थी। लड़की ने आरोप लगाया था कि उसके दादा-दादी ने उसे शादी करने के लिए मजबूर किया। लड़की की शिकायत के बाद वकील को गिरफ्तार किया गया और करीब 10 महीने तक उसे न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा।

लड़की 17 सितंबर, 2018 को 18 साल की हो गई, जिसके बाद वकील ने हाईकोर्ट में इस मामले को रद्द करने की अपील की। महिला ने पिछले सप्ताह हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर किया और कहा कि उसने विवाद सुलझा लिया है और अब वह अपने पति के साथ रहना चाहती है। इसलिए उसे मामला खारिज किए जाने से कोई आपत्ति नहीं है।

हालांकि, अतिरिक्त सरकारी अभियोजक अरुण कुमार पाई ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ऐसे मामले को रद्द करने से गलत उदाहरण पेश होगा और जनता के बीच गलत संदेश जाएगा। 2 मई को हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उसे महिला के भले-बुरे की चिंता है। आरोपी के साथ शादी के समय वह नाबालिग थी। इसमें कोई विवाद नहीं है लेकिन, अब वह बालिग हो गई है और उसने अपने पति के साथ रहने की इच्छा जताई है।

विवाहिता को मिला सुरक्षा कवच

कोर्ट ने मानवीय आधार पर नाबालिग के हलफनामे पर गौर करते हुए उसे सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है। कोर्ट ने कहा कि महिला अगर पति के साथ रहने को तैयार है तो वह अब शादीशुदा है। हम सोचते हैं कि इसके बाद अब समाज में उसे जल्दी कोई पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। ऐसे में उसके भविष्य को सुरक्षित रखना भी जरूरी है।

इसके मद्देनजर पीठ ने महिला के पति को 10 एकड़ जमीन उसके नाम पर हस्तांतरित करने और 7 लाख रुपये उसके नाम एफडी करने का निर्देश दिया है। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि उसकी शिक्षा में कोई व्यवधान नहीं पड़ना चाहिए। 

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