भोपाल। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मानवाधिकार आयोग एवं महिला आयोग पर आरोप लगाया है कि उनके मामले में इन संस्थाओं ने इस लिए रुचि नहीं ली क्योंकि वो हिंदू थीं।
एक अखबार को दिए इंटरव्यू में साध्वीर प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि मानवाधिकार आयोग या महिला आयोग ने मेरे मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई, क्योंकि मैं हिंदू थी। मेरा अनुभव है कि हिंदुओं के अधिकार की बात करने वालों के लिए मानवाधिकार आयोग या महिला आयोग की कोई सहानुभूति नहीं होती। 2008 की एक घटना याद आती है। किसी मीडिया ने कोर्ट में सुनवाई पर जाते वक्त एक महिला पुलिसकर्मी से मुस्कुराकर बात करते हुए मेरा फोटो प्रसारित किया था। तब महिला आयोग की अध्यक्ष गिरिजा व्यास ने बयान दिया था कि मैंने प्रज्ञा को टीवी पर देखा है वो ठीक है और उसे किसी तरह की परेशानी नहीं है। यह अमानवीयता की पराकाष्ठा थी, लेकिन यह सब मान्य रहा है।
अमानवीय यातनाओं का दावा करतीं हैं प्रज्ञा ठाकुर
प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर दावा करतीं हैं कि एटीएस की कस्टडी के दौरान 24 दिन तक उन्हे अमानवीय यातनाएं दीं गईं। अजीब बात यह है कि यातनाओं की पुष्टि ना तो मेडीकल रिपोर्ट में हुई और ना ही न्यायालय में शिकायत के बाद हो पाई। मानवाधिकार आयोग एवं महिला आयोग ने भी कहा कि प्रज्ञा ठाकुर को यातनाएं नहीं दी गईं परंतु प्रज्ञा ठाकुर का दावा है कि सारी सरकारी और गैर सरकारी ऐजेंसियां गलत हैं। उनका सच इसलिए प्रमाणित नहीं हुआ क्योंकि वो हिंदू थीं।