नई दिल्ली। कर्मचारियों की भविष्य निधि जमां पूंजी पर मिलने वाला ब्याज खतरे में आ गया है। वित्त मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से पूछा है कि क्या उसके पास इतना पैसा है कि वो 8.65 प्रतिशत ब्याज अदा कर सके।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने 8.65 फीसदी ब्याज देने के मामले में EPFO से सफाई मांगी है। वित्त मंत्रालय ने पूछा है कि इतना ब्याज देने के लिए क्या ईपीएफओ के पास पर्याप्त फंड है। आपको बता दें कि फाइनेंस कंपनी IL&FS और उसी तरह के अन्य जोखिम भरे निवेशों में कई बड़े निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में क्या EPFO नुकसान से बच पाया है। साथ ही, उसके पास क्या अब पर्याप्त रकम है।
वित्त मंत्रालय इसलिए मांग रहा है जवाब-
(1) वित्त मंत्रालय ने पूछा है कि क्या ईपीएफओ के पास पर्याप्त सरप्लस रकम है, जिससे पिछले वित्त वर्ष के लिए तय ब्याज का भुगतान किया जा सके। खास तौर पर तब जब विभिन्न वित्तीय कंपनियों में किए गए कुछ निवेश में नुकसान होने की आशंका है।
(2) वित्त मंत्रालय की ओर से श्रम सचिव को इस संबंध में पत्र लिखा गया है। वित्त मंत्रालय ने आईएलएंडएफएस और इसके जैसे जोखिम भरे निवेश के बारे में जानकारी मांगी है।
(3) वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, घाटे की स्थिति में ईपीएफओ ग्राहकों को भुगतान की जिम्मेदारी सरकार पर होगी। ईपीएफओ फंड्स को लेकर विशेष सावधानी बरतना जरूरी है।
EPFO ने दिया जवाब-
इस मामले में ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उनकी सभी कैलकुलेशन सही है। पिछले 20 साल से ज्यादा समय से ऐसे ही कैलकुलेशन होती रही है। जिस मेथडोलॉजी का इस्तेमाल करके ब्याज दर की गणना की जाती है वह नई नहीं है। वित्त मंत्रालय ने कुछ सवाल पूछे हैं, उनका जवाब दे दिया जाएगा।
क्यों और कहां डूबा पीएफ खाताधारकों का पैसा-
(1) IL&FS में निवेश के असर के बारे में पूछे जाने पर ईपीएफओ अधिकारी ने कहा कि हमसे पूछा गया है कि कैसे मैनेज करेंगे अगर वहां लगा पैसा डूब गया? अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि अभी तक कुछ ऐसा नहीं हुआ है.'
(2) श्रम विभाग की कमेटी की 57वीं रिपोर्ट के मुताबिक, गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे IL&FS में फरवरी 2019 तक ईपीएफओ का निवेश 574.73 करोड़ रुपये है.
(3) ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) ने फरवरी में सिफारिश की थी कि EPFO के करीब 6 करोड़ सक्रिय ग्राहकों को 2018-19 वित्त वर्ष में 8.65 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज मिलेगा. इसके पिछले वित्त वर्ष में ब्याज की दर 8.55 प्रतिशत थी, जो पांच साल में सबसे कम थी.