नई दिल्ली। 12 तुगलक लेन से इन दिनों कई खबरें निकलकर आ रहीं हैं। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी ने स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं की मनमानी चलेगी और विपक्षी पार्टियों के लिए गांधी परिवार निशाने पर बना रहेगा, यह अब नहीं चलेगा। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी ने 3 माह का समय दिया है। इस दौरान कांग्रेस को अपने अए अध्यक्ष का चुनाव करना है।
कांग्रेस में मंगलवार को दिन भर की हलचल के बाद सूत्रों का दावा है कि राहुल गांधी अगले 3-4 महीनों तक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने को तैयार हो गए हैं, बशर्ते इस दौरान उनका कोई विकल्प खड़ा किया जाए। इस दरम्यान राहुल पार्टी में बड़े बदलाव करेंगे। 25 मई को हुई कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में उन्हें इसके लिए अधिकृत भी किया गया था। राहुल को कांग्रेस पार्टी की अगुवाई करते रहने के लिए मनाने उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला उनके घर पहुंचे थे।
राहुल से मंगलवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मुलाकात की। खबर आई थी कि चुनाव में गहलोत के पुत्र प्रेम पर राहुल ने सीडब्ल्यूसीसी की बैठक में नाराजगी जताई थी। मंगलवार को राहुल से अहमद पटेल, सचिन पायलट और के सी वेणुगोपाल ने भी मुलाकात की है और पद पर बने रहने की अपील की है। चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार के बावजूद कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि राहुल अगर अध्यक्ष पद से हट गए तो पार्टी बिखर जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक राहुल ने सीडब्ल्यूसी की बैठक जिन नेताओं के पुत्र प्रेम पर सवाल उठाया था उनमें पी. चिदंबरम भी थे। हालांकि चिदंबरम के बेटे कार्ति तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से चुनाव जीत गए हैं। कार्ति भी कह रहे हैं कि राहुल ही कांग्रेस के नेता हैं और बने रहेंगे। इस बीच कांग्रेस के बड़े नेताओं के अलावा जिला इकाइयों की ओर से भी राहुल को समर्थन मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खून से राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी है और अपील की है कि वो अध्यक्ष पद न छोड़ें। चिट्ठी में लिखा गया है कि राहुल गांधी इस्तीफा मत दीजिए, हम सब आपके साथ हैं। राहुल गांधी को अपने सहयोगियों से भी समर्थन मिला। डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने राहुल गांधी से फोन पर बात की, और राहुल से कहा कि भले चुनाव में हार हुई लेकिन उन्होंने लोगों का दिल जीता है।
तो उधर लालू प्रसाद यादव ने ट्विटर पर लिखा कि इस्तीफे की राहुल की पेशकश आत्मघाती है। विपक्षी दलों में बीजेपी को हटाने का साझा लक्ष्य था, लेकिन राष्ट्रीय सहमति नहीं बना सके।भारत जैसे विविध देश में किसी एक चुनाव का नतीजा सच्चाई नहीं बदल सकता। राहुल कांग्रेस अध्यक्ष पद की हार को लेकर कितने व्यथित हैं, ये तो कांग्रेस ही बता सकती है, लेकिन लगता है कि इस्तीफे की पेशकश कर राहुल ने अपने समर्थकों को अपने पीछे खड़ा कर लिया है।