भोपाल। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत होने वाले एडमिशन की प्रक्रिया में दस्तावेजों के सत्यापन में ही जन शिक्षा अधिकारी मां के जाति प्रमाणपत्र को मान्यता नहीं दे रहे हैं। केवल पिता का जाति प्रमाणपत्र मान्य कर रहे हैं। बता दें कि राज्य शिक्षा केंद्र ने सर्कुलर जारी करके निर्देशित किया है कि अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए अभिभावक का जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जा सकता है। विवाद उन मामलों में हैं जिनमें मां का जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है। सत्यापन प्रक्रिया में इसे अस्वीकार कर दिया गया जबकि आवेदकों का कहना है कि अभिभावक से तात्पर्य माता या पिता कोई भी हो सकता है।
इन दिनों आरटीई के तहत होने वाले एडमिशन के लिए दस्तावेजों के सत्यापन का काम चल रहा है। इसमें सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति-जनजाति के बच्चों के दस्तावेज खारिज हो रहे हैं। इसकी वजह दस्तावेज चैक करने वाले जन शिक्षा केंद्र के अधिकारी मां के जाति प्रमाण पत्र को मान्यता नहीं दे रहे हैं। अभिभावकाें ने इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी और राज्य शिक्षा केंद्र में भी की है, लेकिन वहां से उन्हें कोई भी सकारात्मक उत्तर नहीं मिला। जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र शर्मा का कहना है कि हम मामले की जांच कर रहे हैं।
अभिभावकों का आरोप है कि अधिकारी दस्तावेज के नाम पर भटका रहे हैं। अभिभावक मनीराम कौल का कहना है कि वह पढ़ा लिखा नहीं है, इसलिए उसका जाति प्रमाण पत्र नहीं बना। उनकी पत्नी का जाति प्रमाण पत्र है। वह महात्मा गांधी जनशिक्षा केंद्र गया था, लेकिन अधिकारी उसके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज काे मान्य नहीं कर रहे हैं। ऐसे में अनिमेश झारिया ने बताया कि वे मजदूरी करते हैं। पत्नी नौकरी करती है। उनका जाति प्रमाण पत्र है। जन शिक्षा केंद्र के अधिकारी पत्नी के जाति प्रमाण पत्र को मान्य नहीं कर रहे हैं।
भाई या बहन का जाति प्रमाण पत्र भी है मान्य
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत गरीबी रेखा से नीचे और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए स्कूलों में 25 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं। इसकी ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद दस्तावेजों के सत्यापन का काम जन शिक्षा केंद्र द्वारा किया जा रहा है। इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र ने स्पष्ट आदेश दिया है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए बच्चे के भाई और बहन के जाति प्रमाणपत्र को भी मान्य किया जाए। घर के मुखिया, पालक के नाम पर बने जाति प्रमाणपत्र भी मान्य हैं।