भोपाल। ग्वालियर संभाग के श्योपुर जिले में 2 बूथों पर कथित फर्जी वोटिंग/बूथ केप्चरिंग का मामला सामने आया है। यहां कुल मतदान की तुलना में 50-50 वोट ज्यादा निकले हैं। तनाव से बचने के लिए अधिकारी कह रहे हैं कि मॉकपोल के दौरान हुई वोटिंग को डीलिट नहीं किया गया जबकि 'असावटी प्रकरण' इशारा करता है कि यह फर्जी वोटिंग/बूथ केप्चरिंग का मामला भी हो सकता है। मामला कुछ भी हो परंतु 2 बूथों पर वोटिंग गलत हो गई है। यहां पुनर्मतदान होना चाहिए।
मामला श्योपुर के पांडोला गांव के 2 बूथों का है। तनाव से बचने के लिए कहा जा रहा है कि मॉकपोल के समय इन ईवीएम मशीनों में वोट डालकर देखा गया था, उसके बाद इन वोटों को डिलीट करना भूल गए और उसी ईवीएम में मतदान करवा दिया गया। ईवीएम में मतदान से अधिक वोट डाले जाने के कारण अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले से कैसे निपटा जाए, अब अधिकारी इस जुगत में लगे हुए हैं। वहीं जब इस बारे में कलेक्टर बसन्त कुर्रे के बात करने के कोशिश की गई, तो वे मीटिंग में बिजी होने की बात कहते हुए बचते नजर आए।
कहीं यह भी असावटी जैसा मामला तो नहीं
फरीदाबाद लोकसभा सीट के असावटी गांव मतदान केंद्र पर नए तरह की बूथकेप्चरिंग का मामला सामने आया है। यहां भाजपा का पोलिंग ऐजेंट मतदाताओं की जगह वोट डाल रहा था। मतदाताओं को बूथ पर सारी प्रक्रिया से गुजारा जा रहा था परंतु ऐजेंट मशीन पर उनसे पहले बटन दबाकर चला जाता था। हंगामा हुआ तो मतदान निरस्त माना गया और दोबारा मतदान कराया जा रहा है।
सुलगते सवाल
कलेक्टर मामले को दबाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं।
दोनों बूथों पर 50-50 ऐसे हैं जो मतदाताओं ने नहीं डाले।
लोकसभा चुनाव में इन्हे समायोजित करने का कोई फॉर्मूला नहीं हो सकता।
अब तक पीठासीन अधिकारी को सस्पेंड क्यों नहीं किया गया।
अब तक दोनों बूथों का मतदान निरस्त करने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई।