सीधी। जिले के उसने विकास खंड केकड़ा गांव की एक महिला की मौत के बाद शव को ले जाने के लिए एक वाहन तक उपलब्ध नहीं हो सका जिसके कारण परिजनों को शव बांस बल्ली के सहारे पोस्टमार्टम के लिए चीरघर तक फिर चीर घर से दाह संस्कार के लिए ले जाना पड़ा। इस घटना ने जहां मानवता को शर्मसार किया है वहीं शासन-प्रशासन सांसद विधायक जनपद जिला पंचायत के द्वारा किए जा रहे उस विकास के दावों की पोल खोल कर रख दी है कि वे और उनकी सरकार समाज के अंतिम छोर में खड़े व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में कामयाब हुए।
इसके पूर्व भी सीधी जिले में 2 दर्जन से ज्यादा इस तरह की घटनाएं सामने आ चुके हैं। उसके बाद से जनप्रतिनिधियों ने अस्पतालों को शव वाहन और एंबुलेंस देने का अभियान चलाया था कहने के लिए तो धौहनी विधायक ने भी अपने क्षेत्र के लोगों के लिए वाहन उपलब्ध कराया है लेकिन यह कहां रहता है किस उपयोग में आ रहा है इसका कोई अता पता नहीं चल रहा है।
सीधी जिले के आदिवासी अंचल कुसमी मे नजारा देखा गया जब एक महिला प्रमिला सिहं पति आनंद वहादुर सिहं उम्र 25 वर्ष निवासी कोडार ने रात फासी लगाकर आत्महत्या कर ली और उस आदिवासी परिवार के लोग शव वाहन के लिये परेशान होते दिखे। तब जानकारी मिली की शव वाहन सालो से खडी है। तब परिवार के लोगो ने बांस बल्लियों के सहारे प्रमिला का शव लेकर पोस्टमार्टम हाउस पंहुचे।