सिहोरा। जहां एक तरफ लोग खून के रिस्ते नही मानते है और जमीन जायजाद आदि वजहों पर झगड़कर रिस्ते खत्म करते देते हैं लेकिन यहां पर भले ही खून के रिस्ते नही रहे लेकिन 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने मुंह बोले रिस्तो को चालीस वर्षो से निभाते हुए भाई की मौत के बाद अंतिम संस्कार करके रिश्तों की मिसाल कायम की है।
खितौला थाना क्षेत्र में रेलवे स्टेशन पर कई सालों से भीख मांग कर जीवन यापन करने वाले दिव्यांग अरुण बर्मन (58वर्ष) की आज सुबह अचानक मौत हो गई जिसकी मुंह बोली बहन रामरती पति गया प्रसाद चौधरी (60वर्ष) जबलपुर निवासी ने अंतिम संस्कार किया। रामरती चौधरी ने बताया कि मृतक खितौला के वार्ड नं 12 में झोपड़ी बनाकर रहता था जो आंखों और पैर से दिव्यांग था। स्टेशन में ही रामरती बाई पालीथिन बीनती थी जो मृतक को करीब 40 वर्षों से भाई की तरह सेवा करती थी और रोजाना खाने को देती थी। लेकिन मृतक के परिजन नही है जिस वजह से रामरती बाई ही वृद्ध का अंतिम संस्कार किया।
आंखों- पैर से दिव्यांग
मृतक अरुण बर्मन खितौला में झोपड़ी बनाकर रहता था और स्टेशन में भीख मांग कर गुजारा करता था जो आंखों से पूरी तरह दिव्यांग और पैरों से भी पूरी तरह असमर्थ था जिसके परिवार में कोई नही था लेकिन स्टेशन में ही पॉलीथिन बीनने वाली वृद्ध महिला ने लोगों के सहयोग से खितौला मुक्ति धाम में अंतिम संस्कार किया। जबकि संस्कार के लिए पर्याप्त पैसा न होने के कारण नगर के पत्रकार एवं लोगों ने मिलकर सहयोग करते हुए सामग्री दिलाई जिसके बाद संस्कार हुआ।