जबलपुर। लोकायुक्त के विशेष न्यायाधीश ने आय से 379.4 प्रतिशत अधिक सम्पत्ति अर्जित करने वाले पनागर के तत्कालीन पटवारी संतोष सिंह को 5 साल का कारावास और 65 लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा नहीं करने पर पटवारी को 2 साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। न्यायालय ने छापे के दौरान पटवारी के घर से मिले नकद 5 लाख 13 हजार रुपए को राजसात करने का आदेश दिया है। इसके साथ आय से अधिक चल-अचल सम्पत्ति को नीलाम कर उससे मिलने वाली रकम को राजसात करने को कहा है।
यह है मामला
अभियोजन के अनुसार लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक को सूचना मिली की पनागर के पटवारी संतोष सिंह ने आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित की है। लोकायुक्त की टीम ने 18 दिसंबर 2013 को पटवारी के शुक्ला नगर गढ़ा और झिन्ना भेड़ाघाट स्थित निवास पर छापा मारकर जांच की। जांच में पटवारी के घर से 5 लाख 13 हजार रुपए नकद मिले। पटवारी की कुल चल-अचल 81 लाख 28 हजार 128 रुपए होना पाया गया। लोकायुक्त की ओर से वैध आय की गणना में पाया गया कि पटवारी ने 2 अप्रैल 1988 से 18 दिसंबर 2013 तक 16 लाख 95 हजार 472 रुपए की आय अर्जित की है।
64 लाख 32 हजार 654 रुपए की आय से अधिक संपत्ति
जांच में पाया गया कि पटवारी संतोष सिंह ने आय से अधिक 64 लाख 32 हजार 654 रुपए यानी 379.4 प्रतिशत अधिक सम्पत्ति अर्जित की है। न्यायालय ने पटवारी को सम्पत्ति अर्जित करने का स्त्रोत बताने का पूरा अवसर दिया, लेकिन पटवारी सम्पत्ति अर्जित करने का वैध स्त्रोत बताने में पूरी तरह नाकाम रहा। विशेष लोक अभियोजक प्रशांत शुक्ला ने तर्क दिया कि पटवारी ने अपनी आय से कई गुना यानी 379.4 प्रतिशत अधिक सम्पत्ति अर्जित की है। इसलिए उसे कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए। सुनवाई के बाद न्यायालय ने पटवारी संतोष सिंह को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (1) (ई)13 (2) में 5 साल का कारावास और 65 लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।
सवा दो साल में हुए 62 गवाहों के बयान
लोकायुक्त की ओर से 6 दिसंबर 2016 को पटवारी के खिलाफ आरोप-पत्र पेश किया गया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान सवा दो साल में 62 गवाहों का परीक्षण और प्रतिपरीक्षण किया गया। अभियोजन की ओर से 61 और बचाव पक्ष की ओर से 61 गवाह पेश किए गए।
चल-अचल सम्पत्ति की नीलामी के बाद राजसात होगी रकम
न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि छापे के दौरान पटवारी के घर से मिले नकद 5 लाख 13 हजार रुपए को राजसात किया जाए। इसके साथ ही पटवारी की आय से अधिक चल-अचल सम्पत्ति को सार्वजनिक रूप से नीलाम की जाए। नीलामी से मिलने वाली रकम को राजसात किया जाए।