राजेश पाण्डेय/भोपाल। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह ने कहा कि भोपाल का मास्टर प्लान इसी वर्ष तैयार हो जायेगा। इसके पहले वर्ष 1995 में मास्टर प्लान बना था। मास्टर प्लान के संबंध में सुझाव ऑनलाइन मंगाये जायेंगे। जीआईएस सर्वे के आधार पर पाँच शहरों ओंकारेश्वर, बैतूल, डबरा, मन्दसौर और भिण्ड के मास्टर प्लान का कार्य अंतिम चरण में है। प्रदेश के सभी 34 अमृत शहरों का मास्टर प्लान भी जीआईएस सर्वे के आधार पर तैयार किया जा रहा है। मास्टर प्लान बनने के बाद वेब पोर्टल पर ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा।
जी.आई.एस. स्टूडियो के माध्यम से शहरों का सुनियोजित मास्टर प्लान बन सकेगा। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री जयवर्द्धन सिंह और जनसम्पर्क, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने जी.आई.एस स्टूडियो का उद्धघाटन किया। स्टूडियो राज्य नगर नियोजन संस्थान पर्यावरण परिसर में बनाया गया है।
श्री सिंह ने कहा कि स्टूडियो का उपयोग सभी विभाग कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि शहर की झीलों का भी संरक्षण किया जायेगा। श्री सिंह ने बताया कि स्टूडियो कानिर्माण 2 करोड़ 70 लाख की लागत से किया गया है। इसका मोबाईल एप भी बनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि सभी को पानी का अधिकार दिया जायेगा। सभी 378 नगरीय निकाय का वाटर ऑडिट करवा रहे हैं। बारहमासी पानी के स्त्रोत तलाश रहे हैं। इजरायल की जल संरक्षण की तकनीक अपनायेंगे।
अवैध कालोनियों को वैध करने बनेगा नया एक्ट
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने कहा कि अवैध कालोनियों को वैध करने के संबंध में विचार-विमर्श के बाद नया एक्ट बनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि शहरों में रहने वाले गरीब लोगों को आवासीय पट्टे दिये जायेंगे। बड़े तालाब का संरक्षण करवाया जायेगा।
पेयजल के लिये अलग मास्टर प्लान बने
जनसम्पर्क मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है। अत: पेयजल के लिये सभी शहरों का अलग मास्टर प्लान बनाया जाये। उन्होंने कहा कि एक बार मास्टर प्लान बनने के बाद उसमें परिवर्तन नहीं होना चाहिए। बहुत जरूरी होने पर शासन स्तर से ही परिवर्तन हो। उन्होंने कहा कि जी.आई.एस. स्टूडियो बनने से विकास योजनाओं की प्लानिंग में सुविधा होगी। इन्वेस्टर्स के लिये भी उपयोगी होगा।
संचालक ग्राम एवं नगर निवेश श्री राहुल जैन ने स्टूडियो की कार्य-प्रणाली की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इंकुवेटर को भी स्थान दिया गया है। निर्धारित शुल्क देकर वह इसका उपयोग कर सकेगा। श्री जैन ने बताया कि यहाँ एकत्रित डेटा का लाभ सभी नगरीय निकाय योजनाएँ तैयार करने में ले सकेंगे। यह योजनाओं की प्रगति की मॉनिटरिंग में भी सहयोगी होगी।