जबलपुर। शहर के आसपास के इलाकों में गिट्टी बनाने वाले क्रेशरों (Crusher) की भरमार हो गई है। प्रदूषण बोर्ड ने जांच करवाई तो पता चला कि ज्यादातर के पास तो मंजूरी ही नहीं है। न कोई खदान आवंटित (Mine allocation)। फिर भी ट्रकों से पत्थर कटाई के लिए क्रेशर पहुंच रहे हैं। वहीं रात दिन चल रहे क्रेशरों से धूल से पूरा इलाका प्रदूषित हो जाता है। इसे रोकने का भी कोई इंतजाम नहीं है। प्रदूषण बोर्ड (Pollution Board) ने ऐसे क्रेशर संचालकों (Crusher operators) को नोटिस भेजकर दस्तावेज मांगे हैं। सूत्रों की माने तो खुद प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों की मिलीभगत से क्रेशर अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।
शहर के मानेगांव, अमझर घाटी के आसपास आधा सैकड़ा से ज्यादा क्रेशर चल रहे हैं। ज्यादातर ने नियमों की अनदेखी कर रखी है। किसी के यहां धूल कम करने के इंतजाम नहीं हैं। पानी का छिड़काव नहीं किया जाता है। क्रेशर के आसपास पौधे लगाने थे जो कहीं नहीं लगाए गए हैं। इस वजह से प्रदूषण भी बढ़ रहा है। इस इलाके के आसपास रहने वाले लोग आए दिन प्रदूषण की वजह से परेशान रहते हैं। दमा जैसी बीमारी यहां के रहवासियों को घेरती जा रही है।
मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जवाबदेही है कि वो क्रेशर संचालकों को पर्यावरण से जुड़े नियमों का पालन करवाए। बताया जाता है कि बोर्ड अधिकारी खुद क्रेशर मालिकों से मिलकर नियमों की अनदेखी पर चुप्पी साध लेते हैं। इस वजह से भारी मात्रा में पर्यावरण को नुकसान होता है।
बोर्ड ने पूछा
मप्र प्रदूषण बोर्ड ने क्रेशर संचालकों से पूछा है कि उनके यहां खदान से जुड़ी जब अनुमति नहीं तो कहां से पत्थर पहुंच रहे हैं।
धूल रोकने के लिए पानी का लगातार छिड़काव करना होता है ऐसा क्यों नहीं हो रहा है।
परिसर के भीतर पौधरोपण होना चाहिए। ऐसा क्यों नहीं किया।
कई स्टोन क्रेशर तो सड़क से बिल्कुल करीब से संचालित हो रहे हैं जबकि नियमानुसार क्रेशर सड़क से दूर होना चाहिए।
वर्जन
शहर में कई जगह अवैध रूप से क्रेशर संचालित हो रहे हैं। उनकी जांच की जा रही है। अभी 9 क्रेशर संचालकों को नोटिस जारी किया है। ये कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
एसएन द्विवेदी, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण बोर्ड