ये कोई नई बात नही आजादी से लेकर आज 2019 तक कई सरकारें आयी गयी विकास, रोजगार, सुरक्षा तमाम मुद्दों पे देश पर राज किया, लेकिन हालातों की गंभीरता भयावह रूप लेने की और बढ़ती जा रही हैं। में ना हिंदुत्व की बात करूंगा ना सेकुलरिज्म की, न मंदिर की न मस्जिद की, ना विकास की, न सुरक्षा की, हां में बात कर रहा हूं इस देश को बनाने वालो और रहने वालों की।
आजादी से आज तक किसी भी विभाग में पर्याप्त अमला (कर्मचारी) नही रहे, स्वास्थ्य में 5000 जनसंख्या पर 1 महिला 1 पुरुष पर्यवेक्षक नगण्य है देश में, डॉक्टर अस्पतालों में नही है 50% प्राथमिक और सामुदायिक अस्पताल खाली हैं, इलाज को 70 % जनता तड़पती है। इंजीनियर भरपल्ले बेरोजगार घूम रहे लेकिन pwd phe में वर्षों से पद रिक्त पड़े हैं। पुलिस थानों में पर्याप्त बल नही जो सुरक्षा कर सके जनता की, बिजली विभागों में कर्मचारी नही जो त्वरित कार्यवाही कर सकें। स्कूल में सरकारी शिक्षक है नही पूरे और जो है वो शिक्षा छोड़ अन्य कामों में जोत दिए जाते है, चाक, पेंसिल, शिक्षा के आधुनिक उपकरणों से प्राथमिक शिक्षा कोसों दूर है, जहां कर्मचारी ज्यादा है वहां सरकार की इच्छाशक्ति नही है कि काम ले सके जैसे bsnl की हर जिले में 1 कालोनी होगी सेकड़ो कर्मियों की लेकिन जिओ, आईडिया, एयरटेल जैसी कंपनियों के 15 से 30 लोगों ने पूरे जिले की संचार व्यवस्था को bsnl से उम्दा स्तर पर रखा है इसमे पूंजीपतियों के साथ साथ निर्णय लेने की इच्छाशक्ति निजी क्षेत्र की झलकती है।
बहरहाल भारत की जनसंख्या के मान से भारत की सेवा करने वाले 53 विभागों में 90 लाख कर्मचारियों की कमी है जिसे पूरा करना किसी सरकार की कूबत नही क्योंकि वोट बैंक की राजनीति आड़े आ जाती है। हम योजनाओं में टेक्स का जितना पैसा हर 5 साल में नगद बांटते है जितने में एक ने देश खड़ा हो जाये, भारत की जगह जापान को देखिए हिरोशिमा और नागासाकी ध्वस्त हुए परमाणु बम से लेकिन 5 सालों में वो शहर फिर खड़े हो गए और ज्यादा विकसित रूप में। सरकार मुफ्तखोरी छोड़कर सारी फ्री योजनाएं बन्द करके मात्र 4 काम कर दे कोई जरूरत नही देश के विकास का पैसा फोकट लुटाने में। 1.अति गरीबो को मुफ्त खाना । 2. रहने के लिए कॉमन शेड। 3. इलाज के लिए सरकारी अस्पताल । 4. जनसंख्या नियंत्रण तो ये देश फिर से सोने की चिड़िया बन जायेगा।
सरकारी पद भर जाएंगे 90 लाख और जनता को वास्तविक सेवाएं सहज रूप से मिलने लगेगी विकास अपने आप नजर आने लग जायेगा। जापान की तरह हम मेहनत कश न सही 5 साल ना सही 10 साल में दुनिया के सिर मोर होंगे। देश का कर्मचारी काम के बोझ और कागजों में जितना उलझा है वो इस 90 लाख के निर्वात के भरते ही जनता को सही समय दे पाएगा देश को बना पायेगा।
लेखक श्री राहुल जैन सावला ने जैन विश्व भारती यूनिवर्सिटी लाडनूं राजस्थान से MSW - Master in Social Work की पढाई की है।