भोपाल। मध्यप्रदेश में सामान्य वर्ग के गरीब प्रतिभाशाली छात्रों को विदेश अध्ययन करने में मदद के लिए प्रदेश सरकार ने 2017 में विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत कुल स्कॉलरशिप 55 लाख रुपए से ज्यादा है परंतु चौंकाने वाली बात यह है कि कोई आवेदन ही नहीं कर रहा। अधिकारियों का दावा है कि उनके पास आवेदन ही नहीं आ रहे हैं।
सरकार ने 4 विज्ञापन निकाल दिए, स्टूडेंट्स को पता ही नहीं चला
उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बीते दो साल में इस स्कॉलरशिप के लिए कुल 4 विज्ञापन निकाल चुका है, लेकिन सिर्फ 4 स्टूडेंट ही छात्रवृत्ति प्राप्त कर पाए। सवाल यह है कि सरकारी विज्ञापन कहां जारी हो रहे हैं जो हिताग्रहियों तक पहुंच ही नहीं पा रहे। नियमानुसार इस योजना के तहत उच्च शिक्षा विभाग साल में दो बार विज्ञापन जारी करता है। एक बार में 20 स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप दी जाती है, यानी एक साल में 40 छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जा सकते हैं। इस मान से दो साल में 80 स्टूडेंट्स को योजना का लाभ मिल जाना था, लेकिन बीते दो साल में प्रदेश सिर्फ चार गर्ल स्टूडेंट्स ही विदेश जा पाई हैं। अधिकारियों का तर्क है कि विभाग की वेबसाइट पर स्कॉलरशिप के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध है। इसके अलावा हम हर साल जनवरी और जुलाई में देश के तीन बड़े अखबारों में विज्ञापन भी प्रकाशित कराते हैं।
विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति योजना क्या है
प्रदेश सरकार विदेश में पढ़ाई के लिए जाने वाले स्टूडेंट्स को दो साल के लिए 80 हजार अमेरिकन डाॅलर यानी 55 लाख 43 हजार रुपए दे रही है। इसमें संबंधित संस्थान की फीस के अलावा छात्र के आने-जाने का खर्च भी शामिल है। छात्रों को प्रतिवर्ष 40 हजार डॉलर संस्थान की फीस के लिए दिए जाते हैं। इसमें 38 हजार डॉलर संस्थान की फीस एवं 2 हजार डॉलर किताबों के लिए दिए जाते हैं। सरकार छात्र काे वीसा शुल्क भी प्रदान करती है, लेकिन वीसा के लिए प्रयास स्टूडेंट्स को स्वयं ही करना होगा। (यदि फीस प्रतिवर्ष 40 हजार डॉलर से ज्यादा है तो अतिरिक्त फीस छात्र को चुकानी होगी।)