भोपाल। पूरे मध्यप्रदेश के अध्यापकों की स्थिति अब 'पपीहा' जैसी हो गई है। 'पपीहा' मानसून के इंतजार में एकटक आसमान की तरफ देख रहा है और अध्यापक आवंटन के इंतजार में एकटक वित्त विभाग की तरफ देख रहा है। 14 जून बित गया। ना मानसून आया और ना आवंटन। सोशल मीडिया पर एक अध्यापक ने बस यूं ही पूछ लिया, 'आवंटन आ गया क्या' उसके कमेंट्स में जो दर्द की बाढ़ आई,।
मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने बताया कि शासन के आदेशानुसार समय पर वेतन बिल लगवा कर माह की पहली तारीख को वेतन भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए। अध्यापक संवर्ग के बिल 30;31 मई तक नहीं लगने के कारण अब आबंटन उपलब्ध न होने से वेतन भुगतान में विलंबित हो रहा है। यदि 30;31 मई को प्रस्तुत बिल से वेतन भुगतान हुआ तो शेष अध्यापकों का आबंटन कहाँ चला गया ? तकनीकी कमी का खामियाजा अध्यापक संवर्ग को भुगतना पड़ रहा है इससे आर्थिक परेशानियों से दो चार होना पड़ रहा है।
ईएमआई समय पर नहीं देने के कारण अधिभार वहन करना, रोजमर्रा की जरूरतों एव नियमित मासिक बंदी वालों का भुगतान भी लटक गया है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म, श्रीमती जय श्री कियावत प्रमुख सचिव/आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल से मांग करता है कि मामले में हस्तक्षेप कर तकनीकी बाधा दूर करवाते हुए वेतन भुगतान में विलंब करने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय कर योग्य अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए, तत्काल वेतन भुगतान का मार्ग प्रशस्त करने का कष्ट करें ।