आदरणीय महोदय जी, वर्ष 2011 में म.प्र व्यापम ने संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया था जिसकी काउंसलिंग 2013 में कराकर प्रथम चरण की नियुक्ति एवं 2014 द्वितीय चरण की नियुक्तियां दी गई थी। उसके बाद से वर्षो पढ़े लिखे बेरोजगार शिक्षक भर्ती परीक्षा का इंतजार करते रहे। 2019 मे पीईबी ने आनलाइन वर्ग 1 एवं 2 की शिक्षक भर्ती परीक्षा ली। जिसका परिणाम आचार संहिता के नाम पर लंबित रहा। प्रदेश में 7 वर्षों के अंतराल के बाद शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया। इस बीच न जाने कितने ही लाख शिक्षित युवा पात्रता परीक्षा मे शामिल होने की आयु पार कर चुके होगे।
म.प्र में शिक्षक भर्ती न करके सरकार ने अतिथि शिक्षकों से रिक्त शिक्षक पदों पर वर्षों काम लिया। कई अतिथि शिक्षक 5-10 वर्षों से शासकीय विधालयों में सेवा दे रहे हैं व वे भी पात्रता परीक्षा पास करने के बाद स्थायी शिक्षक पद की आशा मे जी रहे हैं। सरकार अभी तक अपने वचन पत्र अनुसार अतिथि शिक्षक स्थायी नियुक्ति प्रक्रिया भी शुरू नहीं कर पायी है। जबकि 90 दिनों में इस पर कार्य करने का वचन दिया था। सरकार तत्काल अतिथि शिक्षक नियमितिकरण की रूपरेखा बनाए। जिसमें कोई निश्चित समयावधि तय करे 3 वर्ष 5 वर्ष जो भी उचित हो व तत्काल 2005,8,11,19 सभी पात्रता परीक्षा निरंतर पास करने वाले अतिथि शिक्षकों को स्थायी शिक्षक बना दे। साथ ही तत्काल पीईबी परीक्षा परिणाम घोषित करे ताकि लाखों रूपये डीएड, बीएड में खर्च कर चुके शिक्षित युवा बेरोजगार रोजगार प्राप्त कर सके।
अन्यथा भर्ती में देरी से न जाने कितने ही युवा बेरोजगार रह जाएगे। अतिथि शिक्षक नियमितिकरण हेतु भी सरकार कोई अनुभव संबंधी वर्ष तय करे सभी को स्थायी नियुक्ति देना असंभव है व इसी कारण से आज तक अतिथि शिक्षकों के संबंध में कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है व यदि भर्ती प्रक्रिया को लंबित रखा जाता है तो वर्षों से इसके इंतजार में बैठे युवा व उनके परिवार भी सरकार से असंतुष्ट रहेंगे। सरकार को जल्द कोई बीच का निर्णय लेना होगा साथ ही 5-10 वर्ष सेवा दे चुके डीएड, बीएड अतिथि जो कि पूर्व 2005,8,11 परीक्षा पास है वे भी अब ओवरएज की कगार पर हैं।
सरकार चाहे तो अभी आनलाइन चल रही अतिथि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में प्रतिवर्ष 10 अंक अनुभव के अधिकतम 10 वर्ष तक देकर पुराने अतिथि शिक्षकों को राहत दे सकती है व चाहे तो स्थायी नियुक्ति में यूपी के शिक्षामित्रों की भांति 2.5 अंक प्रतिवर्ष अधिकतम 10 वर्ष तक 25 अंक देकर भी अतिथि शिक्षकों को स्थायी शिक्षक बनाने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है क्योंकि चुनाव पूर्व सरकार ने अपने वचनपत्र में उनके नियमितिकरण का वचन बिना किसी क्राइटएरिया बताए दे कर फंस चुकी है व प्रदेश के मुख्यमंत्री जी, पूर्व मुख्यमंत्री जी भी उनके नियमितिकरण की जिम्मेदारी लेकर उलझ गए हैं। बिना कोई क्राइटएरिया तय करे किसी को कुछ नहीं मिलना व शिक्षक भर्ती लंबित रखना भी न सरकार के हित में है न प्रदेश के शिक्षित प्रशिक्षित युुवााओ
के हित में है।
सरकार को तत्काल निर्णय लेना होगा क्योंकि इसी तरह की घोषणा पूर्व सीएम शिवराज जी ने भी 2013 में की थी की तीन वर्ष सेवा दे चुके अतिथि शिक्षक को संविदा शिक्षक बनायेंगे जो कि वो पूरा न कर सके व इस चुनाव में यह उनके लिए परेशानी का सबब बना इसी प्रकार उन्होनें संविदा कर्मियों के स्थायीकरण की घोषणा भी की व पूरा न कर पाने से अतिथि व संविदा कर्मी उनके विरोधी हो गए।
सादर धन्यवाद
आशीष कुमार बिरथरिया