आदरणीय महोदय जी, प्रदेश में जब कांग्रेस विपक्ष में थी तब वह संविदाकर्मियों एवं अतिथि शिक्षकों, अतिथि विद्वानों की मॉंगों का समर्थन करती थी वहीं अतिथि शिक्षकों के आंदोलनों में कांग्रेस के नेता माननीय कुणाल चौधरी जी, पीसी शर्मा जी अतिथि शिक्षकों के नियमितिकरण का समर्थन करते थे। वहीं कांग्रेस पार्टी को प्रदेश में सत्तासीन हुए 6 माह से ज्यादा वक्त हो गया है पर अभी तक कांग्रेस सरकार ने इनके हित में कोई निर्णय नहीं लिया है।
लोकसभा चुनाव पूर्व वरिष्ठ मंत्रियों की एक कमेटी जरूर गठित की थी जिसको 90 दिन में इन कर्मचारियों की मॉंगों पर निर्णय लेकर सुझाव सरकार को देना थे। अभी हाल ही में हुए अतिथि शिक्षकों के आंदोलन में भोपाल में वरिष्ठ मंत्री माननीय पीसी शर्मा जी ने लोकसभा चुनाव बाद अतिथि शिक्षकों के हित में जल्द निर्णय कराने का आश्वासन दिया था परंतु आज दिनांक तक ऐसा कोई ठोस निर्णय सरकार नहीं ले पायी है। जिससे अतिथि शिक्षकों का किसी प्रकार का हित हुआ हो उल्टे वर्तमान समय में अतिथि शिक्षक अपने अनुभव प्रमाण पत्र बनबाने हेतु स्कूलों और संकुल के चक्कर काट रहे है।
जबकि शिक्षा विभाग इतना लापरवाह है कि अभी तक आफलाइन अनुभव प्रमाण पत्र सत्यापन का कोई आदेश नहीं आया हैं जिससे जिन अतिथिशिक्षकों का डाटा पोर्टल पर उपलब्ध नहीं है वे चिंतित है की उनका अनुभव प्रमाण पत्र किस प्रकार बनेगा। मैं स्यंव 2006 से लगातार 10 वर्ष से अतिथिशिक्षक के रूप में कार्य कर रहा हूं लेकिन मेरा पोर्टल पर डाटा सिर्फ दिसंबर 2013-14 से 2018-19 तक का उपलब्ध है जिससे मुझे 5 वर्ष के पूर्व अनुभव की हानि वर्तमान में हो रही है और मेरे कई साथी भी परेशान है। अनुभव प्रमाण पत्र की सारी जिम्मेदारी अतिथिशिक्षकों पर डाल दी गई है शिक्षाविभाग यदि चाहता तो आदेश देता कि प्रत्येक संकुल पर प्राचार्य, संकुल की शालाओं से संबंधित प्राचार्य, प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक उपलब्ध रहें अभी अतिथिशिक्षक अपने अनुभव प्रमाण पत्र को पोर्टल से निकालता है फिर उसे वेरिफाई कराने शालाओं के चक्कर काटता है फिर वो पोर्टल पर संकुल से फीड किया जाता है फिर उसके कार्यदिवस का प्रमाण पत्र जो जनरेट होता है उसे वेरिफाई कराने शालाओं के चक्कर काटता है फिर पुन: उसे संकुल पर जमा करता है इस प्रक्रिया में समय व धन की हानि होती है।
यदि शिक्षाविभाग ऐसा आदेश देता कि समस्त संकुल प्राचार्य, समस्त शाला प्रभारी संकुल पर उपस्तिथि रजिस्टर के साथ व चेक वाउचर या जो भी भुगतान पत्रक है उसके साथ संकुल पर उपलब्ध रहते तो अतिथिशिक्षक परेशान न होते दूसरे पोर्टल पर अतिथिशिक्षकों का डाटा फीड न होना ये शिक्षा विभाग की लापरवाही को उजागर करता है जिस विभाग के ऊपर बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है वो स्यंव विसंगतियों से भरा है व जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से बच रहें है। इस सत्र में आनलाइन भर्ती के नाम पर अनुभवी अतिथिशिक्षकों को हटाकर नये अनुभवहीन अतिथिशिक्षकों को परसेंट के आधार पर रख लिया गया तो कहीं जनवरी माह में ही गणित, अंग्रेजी विषय के अतिथिशिक्षक पहुंचे इससे भी हाईस्कूल, हायरसेकेन्ड्री परीक्षा परिणाम प्रभावित हुए हैं। ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने सत्ता के लोभ में बिना किसी अनुमान के अनगिनत घोषणायें कर दी थी व अब बजट का रोना रो रहीं है। इसी प्रकार विपक्ष में बैठी भाजपा के नेता भी सोशल मीडिया पर बधाई, श्रद्धाजलीं देते है वो क्यों सरकार से नहीं पूछते कि अब तक सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए क्या सोचा है व 90 दिन बाद आने वाली कमेटी ने क्या रिपोर्ट बनाई है इनकी समस्याए दूर करने के लिए।
जिस प्रकार 11 मई 2013 में पूर्व मुख्यमंत्रीजी शिवराजजी ने संविदा शिक्षक बनाने की झूठी घोषणा से अतिथिशिक्षकों का वर्षों शोषण किया उसी प्रकार वर्तमान सरकार के नेता जब विपक्ष में थे तब उनको सारे प्रदेश के कर्मचारियों की मॉंगे उचित लगती थी और अब सत्ता में आते ही इनके भविष्य के प्रति मौन साध रखा है विपक्ष भी कर्मचारियों के हितों पर मौन है कमलनाथजी, दिग्विजय जी, ज्योतिरादित्य जी भी इन कर्मचारियों को दिए वचन भूल चुके है। अभी पीसी शर्माजी ने हाल ही में अतिथिशिक्षक आंदोलन में नियमितिकरण संबंधी वचन को पत्थर की लकीर कहा था चुनाव पूर्व दिग्विजयजी ने उनके नियमितिकरण की जिम्मेदारी ली थी पर इनकी सरकार तो पूर्व सरकार की योजनाओं के अनुसार काम कर रही है अब सवाल ये उठता है कि धैर्य शब्द से पेट नहीं भरता न बच्चों को अच्छी शिक्षा व जीवन दिया जा सकता जो पूर्व सरकार 12 वर्ष से अतिथिशिक्षकों को दे रही थी जो पूर्व मुख्यमंत्रीजी को घोषणावीर कहतें थे वे वर्तमान में वचनवीर साबित हो रहे है।
सादर धन्यवाद
आपका
आशीष बिलथरिया