भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में संचालित 200 में से 160 कोचिंग व हॉस्टल अपने स्टूडेंट्स के लिए खतरनाक है। यदि यहां छोटी भी आग लगी तो भड़क जाएगी क्योंकि आग पर नियंत्रण करने वाले उपकरण इनके पास हैं ही नहीं। सिर्फ 40 कोचिंग व हॉस्टल ऐसे हैं जहां आग पर काबू पाने वाले उपकरण उपलब्ध मिले।
129 कोचिंग संचालकों ने तो नोटिस का जवाब तक नहीं दिया
सूरत के कोचिंग सेंटर में आगजनी की घटना के बाद राजधानी में शुरू हुई कवायद के दौरान सिर्फ 40 संस्थानों ने अपनी कम्पलाइन रिपोर्ट के साथ-साथ शपथ पत्र देते हुए कहा है कि कोचिंग सेंटर व हॉस्टल में फायर अग्निशमन यंत्र, फायर अलार्म, इमरजेंसी एग्जिट के इंतजाम कर दिए हैं। वहीं, 31 कोचिंग सेंटरों ने अधूरी जानकारी उपलब्ध कराई है। जबकि, 129 कोचिंग सेंटर ऐसे हैं, जिन्होंने नोटिस का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा। कोचिंग सेंटर व हॉस्टलों की 9 दिनों तक चली जांच में ढेरों खामियां पाई गई थीं। उन्हें नोटिस देकर 15 दिन की मोहलत दी गई थी, ताकि वे सभी खामियों को दूर कर सकें। बुधवार को यह समय सीमा भी निकल गई है।
कोचिंग में अग्निशमन यंत्र, फायर अलार्म, लेडीज टॉयलेट तक नहीं हैं
बता दें कि जांच में संस्थानों में एक भी जगह फायर अग्निशमन यंत्र, फायर अलार्म जैसी सुविधाएं नहीं मिली थीं। उनके पास कोचिंग सेंटर खोलने की अनुमति तथा फायर एनओसी तक नहीं थी। छात्रों के वाहनों की पार्किंग सड़कों पर कराई जा रही थी। कुछ कोचिंग सेंटर तो एक-एक कमरे में चलते पाए गए थे। कुछ हॉस्टलों में पीने के पानी व शौचालय के उचित इंतजाम नहीं थे। महिलाओं के लिए कोचिंग सेंटरों में टायलेट तक नहीं थे। सेंटर तक पहुंचने की सीढ़ियां इतनी संकरी थीं कि दो छात्र एक साथ चढ़ उतर नहीं सकते। मीटर भी सीढ़ियों के किनारे ही लगे थे। कभी भी घटना होने पर पूरा रास्ता ही बंद हो जाता। इमरजेंसी एग्जिट तो 95 प्रतिशत संस्थानों में नहीं मिले थे।
प्रशासन के हाथ फूले, सीधी कार्रवाई से डर रहे हैं अफसर
एडीएम वंदना शर्मा ने बताया कि कोचिंग सेंटरों व हॉस्टलों से छात्र-छात्राओं की सुरक्षा सहित नगर निगम के अन्य नियमों का पालन कराने के लिए उनके संगठनों की एक बैठक बुलाई जाएगी। यह बैठक आगामी दिनों में होगी, अभी इसकी तारीख तय नहीं की गई है। जिन संस्थानों ने फायर अलार्म व अग्निशमन यंत्र व इमरजेंसी एग्जिट की व्यवस्था नहीं की है, उनकी दोबारा जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
सिर्फ एमपी नगर के 40 कोचिंग में फायर अलार्म
टीम ने एमपी नगर जोन-1 और न्यूमार्केट क्षेत्र के 47 कोचिंग सेंटरों व हॉस्टलों की जांच की। खामियां सभी में मिली थी, इनमें से 22 सेंटरों व हॉस्टलों ने अपनी कम्पलाइन रिपोर्ट दे दी है कि उन्होंने फायर अग्निशमन यंत्र, फायर अलार्म, इमरजेंसी एग्जिट आदि के इंतजाम कर पूरे कर लिए हैं। बचे हुए 23 संस्थानों ने अब तक रिपोर्ट नहीं दी है। टीम ने दोबारा किसी भी हॉस्टल व कोचिंग सेंटर की जांच नहीं की। प्रभारी अधिकारी सुनील राज नायर (संयुक्त कलेक्टर) की टीम ने एमपी नगर जोन-2 के 42 कोचिंग सेंटरों व हॉस्टलों की जांच की। इसमें से 18 सेंटरों ने अपनी कम्पलाइन रिपोर्ट दी कि उन्होंने फायर अग्निशमन यंत्र, फायर अलार्म, नगर निगम से फायर की अनुमति, रजिस्ट्रेशन, इमरजेंसी एग्जिट गेट पूरा कर लिया है। 24 कोचिंग सेंटरों व हॉस्टलों ने अब तक कम्प्लाइन रिपोर्ट नहीं दी। इनमें से दो तो बेसमेंट में चलने वाले कोचिंग सेंटर शामिल हैं। टीम दोबारा जांच करने नहीं पहुंची।
भेल और बैरागढ़ क्षेत्र में सरकारी टीम लौटकर ही नहीं आई
पिपलानी, अयोध्या नगर सहित अन्य क्षेत्रों के 50 हॉस्टलों व कोचिंग सेंटरों की जांच की। सभी में कमियां पाई गई थीं। सेंटरों ने कम्पलाइन किया या नहीं, टीम फालोअप करने नहीं गई। इसी तरह छोला, बैरागढ़, पुराना शहर सहित अन्य क्षेत्रों में संचालित 30 कोचिंग सेंटरों व हॉस्टलों की जांच की। इनमें से एक में भी फायर अग्निशमन यंत्र और अलार्म व इमरजेंसी एग्जिट नहीं मिले। ये सभी छोटे कोचिंग सेंटर थे, जो 10 बाई 10 या 10 बाई 12 के एक-एक कमरों में चल रहे थे। इनसे शपथ पत्र जरूर भरवा लिए गए हैं कि वे नियमों का पालन करेंगे, लेकिन दोबारा टीम जांच करने नहीं गई।