भोपाल। बड़े तालाब में अतिक्रमण ही समस्या नहीं है, बल्कि इसमें दो दर्जन से अधिक नालों का अनट्रीट सीवेज भी मिल रहा है, जो तालाब को बर्बाद कर रहा है। तालाब में रोजाना 10 एमएलडी यानी एक करोड़ लीटर अनट्रीटेड सीवेज मिल रहा है। इससे तालाब के पानी की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है।
विभिन्न एजेंसियों की जांच रिपोर्ट में पानी की गुणवत्ता इतनी खराब हो गई है कि इसमें ऑक्सीजन की मात्रा घटने लगी है। यही नहीं ठोस अपशिष्ट व केमिकल की मात्रा बढ़ने से पानी पीने लायक नहीं बचा है। यानी पानी जहरीला हो गया है। इससे पानी में रहने वाले जलीय जीवों के साथ रोजाना पेयजल के रूप में इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों के जीवन पर संकट खड़ा हो गया है। वर्ष 2014 की एनवायर्नमेंट प्लानिंग एंड को-ऑर्डिनेशन ऑर्गनाइजेशन (एप्को) की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हो चुका है। रिपोर्ट के अनुसार तालाब में टोटल डिजॉल्व सॉलिड (टीडीएस), केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (सीओडी) और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) की मात्रा निर्धारित पैरामीटर से कहीं अधिक पाई गई है।
बड़े तालाब के लिहाज से यह चिंताजनक इसलिए है कि क्योंकि एक इसका पानी पीने के लिए भी उपयोग हो रहा है। वहीं, दूसरा खूबियों के चलते इसे रामसर साइट का दर्जा दिया गया है। निगम प्रशासन द्वारा अमृत योजना के तहत करीब 135 करोड़ रुपए की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने का काम चल रहा है। लेकिन इसमें एक साल से अधिक का समय लगेगा। वर्तमान में कोहेफिजा के अहमदाबाद प्लांट स्थित शिरीन नदी, बड़वई, गोंदरमऊ, महोली दामखेड़ा, नीलबड़, जामुनिया में एसटीपी निर्माण का काम चल रहा है। शिरीन नदी पर निर्माणाधीन एसटीपी को चालू होने में करीब पांच महीने का समय लगेगा। यहां सिविल वर्क के बाद पंप लगाए जाएंगे। बताया जा रहा है कि पुराने एसटीपी से सिर्फ दो एमलडी सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता है, बाकी सीवेज सीधे तालाब में जा रहा है। जिस स्थान पर पानी मिल रहा है, वहां पानी का रंग काला और बदबूदार है। बाकी जगह एसटीपी में सिविल का काम काफी बचा हुआ है। लिहाजा, सभी एसटीपी को चालू होने में साल भर से अधिक का समय लगेगा।