अक्षय कुमार का नाम आते ही एक ऐसे बॉलीवुड स्टार का चेहरा सामने आ जाता है जो रीयल लाइफ में भी देशभक्त है। समाज और सेना के लिए काम करता नजर आता है। फिटनेस की बात करता है। शराब से दूर रहता है। किसी लड़की के साथ ऐसी वैसी बातों में नाम नहीं आता। नाइट पार्टियों में नजर नहीं आता। विज्ञापन भी करता है तो सेनेट्री नेपकीन के। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं कि अक्षय कुमार भारत का नागरिक ही नहीं है। वो तो कनाडा का नागरिक है। आइए यहां अक्षय कुमार की जिंदगी के कुछ रहस्यों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं।
अजमेर राजस्थान के पवन जूरी बताते हैं कि उन्होंने 4 वर्ष पहले कनाडाई नागरिकता को लेकर लिखा था, तब अक्षय कुमार के कुछ प्रशंसकों ने उन्हे काफी ट्रोल किया था। पवन बताते हैं कि 'अक्षय कुमार' यह नाम तो केवल बॉलीवुड के लिए है। उनका असली नाम राजीव भाटिया है। पवन कहते हैं कि अक्षय कुमार यानी राजीव भाटिया ने टैक्स बचाने के लिए भारत की नागरिकता छोड़कर कनाडा की नागरिकता हासिल कर दी थी। तो क्या अक्षय कुमार देश के विकास के लिए टैक्स तक नहीं देना चाहते ?
अक्षय कुमार मोदी सरकार में मंत्री बनना चाहते थे
पवन बताते हैं कि अक्षय कुमार उर्फ राजीव भाटिया के स्पोंसर्स द्वारा कुछ साल भर पहले नेगोशिएसन शुरू की गयी थी कि, भाटिया को बीजेपी-संघ की और से राज्यसभा सांसद बनाया जाए, तो उन्हें कनाड़ा की नागरिकता छोड़कर फिर से भारतीय नागरिक बनने में ख़ुशी होगी। बीजेपी-संघ के रणनीतिकार भी इस बात पर सहमत थे किन्तु अक्षय कुमार केंद्र में मंत्री या किसी राज्य का मुख्यमंत्री बनाने का वादा चाहते थे। इस बात पर गतिरोध बना रहा और मामला लंबित हो गया।
इन सितारों ने अक्षय कुमार को भाजपा में नहीं आने दिया
पवन बताते हैं कि इसमें कुछ भूमिका राष्ट्रीय बहु स्मृति इरानी की भी बतायी जाती है। गैर-राजनैतिक तमाशाई वर्ग के सीगे से अभी वे सबसे मजबूत स्थिति में हैं, और किसी राज्य में मुख्यमंत्री के तौर पर काबिज हो जाने के लिए प्रयासरत है। इसके अलावा इसी वर्ग से परेश रावल, अनुपम खेर, प्रसून जोशी आदि भी कतार में है। मिस्टर भाटिया यानी अक्षय कुमार के आने से इन सभी राष्ट्रवादियों के अवसर कम हो रहे थे। अत: इन्होने भी अपने स्तर पर लॉबीइंग की।
पीएम नरेंद्र मोदी के इंटरव्यू का रहस्य क्या है
बीजेपी-संघ के नेताओं ने अक्षय कुमार को कन्विंस करने की कोशिश की थी उन्हें राज्यसभा में भेज दिया जाएगा, किन्तु अभी वे भारत की नागरिकता ले लें और बीजेपी की और से चुनाव प्रचार करें। पर उन्होंने इनकार कर दिया। वे मुफ्त में कनाड़ा की नागरिकता नहीं छोड़ना चाहते थे। अत: सिर्फ एक इंटरव्यू करने को राजी हुए।
अक्षय कुमार ने कनाड़ा की नागरिकता ही क्यों ली, इसमें क्या फायदा है
चार्टर्ड अकाउंटेंट बताते हैं कि यदि आप भारत की नागरिकता छोड़ कर कनाड़ा की नागरिकता ले लेते है तो मौजूदा नियमों के अनुसार कनाड़ा का कोई भी नागरिक कानूनी रूप से भारत में कमाए गए रूपये के बदले रिजर्व बैंक से डॉलर चुकाने को कह सकता है, इन डॉलर्स को कानूनी रूप से मॉरीशस या फिजी पहुंचा कर मोरीशस रुट से कानूनन भारत में फिर से निवेश कर सकता है, और इस तरह से निवेश किये गए धन से प्राप्त होने वाली आय पर उसे कोई कर नहीं चुकाने होंगे। इस तरह दोहरा फायदा होता है। अक्षय कुमार ने इस मौके को गंवाना उचित नहीं समझा। आखिर वो राजीव भाटिया हैं।