भोपाल। गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi Medical College) भोपाल सहित प्रदेश के 11 सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों से MBBS करके निकले सैकड़ों विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यह कॉलेज 2014 से मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय जबलपुर से संबद्ध है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से विश्वविद्यालय को मान्यता बिना इन कॉलेजों के विद्यार्थियों का स्थाई रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा।
इन कॉलेजों के विद्यार्थियाें से शपथ पत्र लेने के बाद प्रॉविजनल रजिस्ट्रेशन दिया जा रहा है। इंटर्नशिप समाप्ति से पहले यदि मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय को एमसीआई से मान्यता नहीं मिली तो छात्रों के स्थाई रजिस्ट्रेशन की पात्रता समाप्त कर दी जाएगी। इस संबंध में मेडिकल काउंसिल भोपाल के रजिस्ट्रार ने सभी कॉलेजों के डीन को नोटिस भी भेजा है।
मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल भोपाल के रजिस्ट्रार रजिस्ट्रार द्वारा प्रदेश के 11 सरकारी और प्राइवेट मेडिकल के डीन को जारी नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि आपका मेडिकल कॉलेज मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की वेबसाइट पर मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय जबलपुर से मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके बाद भी एमबीबीएस पास हुए विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1956 की धारा 25 के निर्देशानुसार निर्धारित प्रारूप में शपथ-पत्र लेकर उन्हें प्रॉविजनल रजिस्ट्रेशन जारी किए जा रहे हैं। इन छात्रों की इंटर्नशिप समाप्त हाेने से पहले यदि मेडिकल विश्वविद्यालय जबलपुर से मान्यता नहीं ली गई और एमसीआई की वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं हुई तो विद्यार्थियों को स्थाई रजिस्ट्रेशन की पात्रता नहीं होगी। जाहिर है बीएमसी से एमबीबीएस फाइनल प्रोफ करने के बाद इंटर्नशिप कर रहे 74 मेडिकल विद्यार्थियों के साथ प्रदेश के भोपाल, इंदौर, रीवा, ग्वालियर, जबलपुर के सभी सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी भी इससे प्रभावित होंगे। मेेडिकल काउंसिल द्वारा भरवाए जा रहे शपथ पत्र में यह कथन देना पड़ रहा है कि यदि एमसीआई की मान्यता यूनिवर्सिटी को नहीं मिलती है, तो मुझे एमसीआई में रजिस्ट्रेशन प्राप्त करने का अधिकार नहीं रहेगा। विद्यार्थियों का कहना है कि एमबीबीएस डिग्री पूरी होने के बाद वे न तो प्री-पीजी परीक्षा दे पाएंगे और न ही जूनियर व सीनियर रेजीडेंट-शिप कर सकेंगे।
कॉलेज का नाम संबद्धता वाले विवि का नाम
बीएमसी सागर डॉ.हरीसिंह गौर केंद्रीय विवि सागर
गजराराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर जीवाजी विवि ग्वालियर
चिरायु मेडिकल कॉलेज भोपाल बरकतउल्ला विवि भोपाल
गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल बरकतउल्ला विवि भोपाल
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज इंदौर देवी अहिल्या विवि इंदौर
एलएन मेडिकल कॉलेज इंदौर बरकतउल्ला विवि भोपाल
एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर देवी अहिल्या विवि
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर रानी दुर्गावती विवि जबलपुर
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज उज्जैन विक्रम विवि उज्जैन
श्यामशाह मेडिकल कॉलेज रीवा एपी सिंह विवि रीवा
श्री अरबिंदो मेडिकल कॉलेज इंदौर देवी अहिल्या विवि
Ãहमने मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय और एमसीआई दोनों को कॉलेज में कराई जा रही परीक्षाओं की तारीख और एग्जामिनर पैनल भेज दिया है। 12 जून के बाद कभी भी एमसीआई टीम कॉलेज में होने वाली 2014 बैच की परीक्षाओं के निरीक्षण पर आ सकती है। परीक्षाओं का निरीक्षण करने के बाद टीम रिपोर्ट देगी। इसके बाद समस्या हल हो जाएगी। - डॉ. जीएस पटेल, डीन बीएमसी सागर
Ãअभी तक प्रदेश के मेडिकल कॉलेज अलग-अलग यूनिवर्सिटी से संबद्ध थे। अब यह मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में आ गए हैं, इस कारण प्रक्रिया में देरी हुई है। हम तेजी से प्रयास कर रहे हैं कि वेबसाइट पर सभी कॉलेज हमारी यूनिवर्सिटी से संबद्ध दिखें। यह एमबीबीएस का पहला बैच है, जिसे हम डिग्री देंगे। कॉलेजों के दस्तावेज में अभी भी पुराने विश्वविद्यालयों के नाम लिखे हैं। मेडिकल काउंसिल के हिसाब से हम प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। शपथ पत्र भरवाना कोई इश्यू नहीं है। - डॉ. आरके शर्मा, कुलपति, मप्र मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय जबलपुर