BU NEWS: परीक्षा शाखा से रिजल्ट का रिकॉर्ड रखने वाले 12 रजिस्टर गायब

भोपाल। बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी (Barkatullah University) में अभी तक यहां से आंसरशीट गुमने जैसे प्रकरण सामने आते थे। लेकिन, इस बार छात्रों से जुड़े 12 रिजल्ट का रिकॉर्ड (टेबुलेशन रजिस्टर) ही गायब है। ये टीआर गोपनीय सहित परीक्षा शाखा (Examination Branch) में उपलब्ध नहीं हैं। 16 छात्रों की अंकसूची के सत्यापन कराने के दौरान यह लापरवाही उजागर हुई है। इसके बाद कुलपति प्रो. आरजे राव (Vice Chancellor Prof. RJ Rao)ने कमेटी का गठन कर दिया है। लेकिन, रजिस्ट्रार अजीत श्रीवास्तव कहते हैं कि कमेटी गठित होने की जानकारी उनके संज्ञान में नहीं आई है। साथ ही कहा कि जब खोजबीन की जाती है तो टीआर कहीं न कहीं मिल ही जाता है। 

विवि की परीक्षा के साथ गोपनीय शाखा में टीआर नहीं होने के प्रकरण को गंभीर बताया जा रहा है, इसलिए एक कमेटी बना दी है। इसमें डीन प्रोफेसर दिनेश नागर, डीएसडब्ल्यू प्रो. भूपेंद्र सिंह और डिप्टी रजिस्ट्रार यशवंत पटेल शामिल हैं। इस संबंध में कमेटी एक बैठक हो चुकी है। सोमवार को कमेटी ने कार्रवाई विवरण जारी कर दिया है। इसके अनुसार परीक्षा और गोपनीय शाखा से विभिन्न परीक्षाओं के 12 टीआर गायब हैं। कमेटी ने निर्देश दिए हैं कि सत्यापन शाखा के प्रभारी आरसी पुरोहित की अलमारी में टीआर रखे हैं। इनसे सभी टीआर प्राप्त कर लें। 

इंदौर कोर्ट में जमा है एक Tabulation register

कमेटी को प्रारंभिक तौर पर यह जानकारी प्राप्त हुई है कि 12 टीआर नहीं हैं। जबकि बीकॉम-प्रथम का टीआर इंदौर न्यायालय में जमा है। इस टीआर को प्राप्त करने के लिए विवि के किसी अधिकारी को भेजा जाएगा। इस तरह बीयू की परीक्षा और गोपनीय शाखा में 13 टीआर नहीं है। वहीं 12 में से एक टीआर एक स्वशासी कॉलेज का है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि संबंधित कॉलेज के प्राचार्य से एक टीआर की छायाप्रति प्राप्त की जा सकती है। इनके अलावा बीए द्वितीय 1993 का टीआर भी नहीं मिल रहा है। इस संबंध में भी संबंधित प्रभारियों से जानकारी मांगी गई है। 

टीआर गायब होने से नहीं हो पा रहा वेरिफिकेशन 

कमेटी ने कहा है कि सभी टीआर परीक्षा समाप्त होने के तीन वर्ष बाद अनिवार्य रूप से रिकॉर्ड रूम को सौंप देना चाहिए। अत: वर्तमान में परीक्षा स्वयं गोपनीय के पिछले वर्षों के टीआर जो संकाय सहायकों के पास हैं, वे भी रिकॉर्ड रूम को सौंपे जाएं। 

टीआर नहीं मिलने से सत्यापन तो होगा नहीं, साथ ही छात्र-छात्राओं के भविष्य में डुप्लीकेट दस्तावेज नहीं बन सकेंगे। चाहे अंकसूची बनवानी हो या फिर डिग्री। इसके लिए टीआर के माध्यम से रिजल्ट को देखा जाता है। इसके अलावा ट्रांसक्रिप्ट, माइग्रेशन आदि दस्तावेज नहीं बन सकेंगे। 

ये टीआर नहीं हैं उपलब्ध 

1986 बीएचएससी सेकंड सेम का 
1987 बीएचएससी थर्ड सेम का 
1988 एमएससी सीएस सेकंड सेम मार्च का 
1993 बीई फिफ्थ सेमे. का 
1996 बीएससी सेकंड का 
1999 एमएससी सीएस थर्ड सेम मार्च का 
2001 बीकॉम फर्स्ट ईयर का 
2002 एमबीए थर्ड पार्ट टाइम 
2004 एमपीएड फाेर्थ सेमेस्टर जुलाई-अगस्त पुनर्मूल्यांकन का 
2005 एमकॉम फाेर्थ सेम का 
2007 बीबीए फिफ्थ सेम का 
2012 बीबीए सिक्सथ सेम का 
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