जबलपुर। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मुकेश दांगी ने चिटफंड कंपनी आस्था बिल्डटेक के एमडी रचित राम मौर्य और डायरेक्टर रतन दासगुप्ता को पांच-पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय ने एमडी पर 8 लाख रुपए और डायरेक्टर पर एक लाख रुपए का अर्थदंड लगाया है।
अभियोजन के अनुसार अधारताल सुहागी निवासी पुलिस विभाग से एएसआई के पद से सेवानिवृत्त अश्वनी कुमार ने शिकायत दर्ज कराई कि आस्स्था बिल्डटेक के एमडी रचित राम मौर्य और डायरेक्टर रतन दासगुप्ता ने उसे दोगुना ब्याज देने का लालच दिया। इसके बाद उससे वर्ष 2012 में 10 लाख रुपए आस्स्था बिल्डटेक में जमा करा लिए। उसे पांच साल तक हर महीने 10 हजार रुपए ब्याज देने के लिए कहा गया। पांच साल बाद उसे 10 लाख रुपए वापस करने के लिए कहा गया। कंपनी उसे 24 जून 2016 तक 10 हजार रुपए प्रतिमाह ब्याज देती रही। इसके बाद ब्याज देना बंद कर दिया गया। जब फरियादी ने अपनी जमा रकम वापस मांगी तो कहा गया कि कोर्ट से रकम वापस ले लेना। अधारताल पुलिस ने एमडी रचित राम मौर्य और डायरेक्टर रतन दासगुप्ता के खिलाफ धारा 420, 406 और 409, 34 का प्रकरण दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। अपर लोक अभियोजक मनोज साहू ने तर्क दिया कि चिटफंड कंपनी भोले-भाले लोगों को जाल में फंसाकर उनके गाढ़े पसीने की कमाई हड़प रही है।
ऐसे मामले में आरोपियों को कठोर से कठोर सजा दी जाना चाहिए। सुनवाई के बाद न्यायालय ने एमडी रचित राम मौर्य को 5 साल की सजा और 8 लाख रुपए अर्थदंड और डायरेक्टर रतन दासगुप्ता को 5 साल की सजा और एक लाख रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है।