दंत चिकित्‍सक अधिनियम में संशोधन को मोदी कैबिनेट की मंजूरी | Dentist Act, 1948 amendment

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत दंत चिकित्‍सा परिषद को अधिक प्रभावी बनाने के लिए दंत चिकित्‍सक अधिनियम, 1948 (1948 का 16) में संशोधन के लिए विधेयक को पेश करने की मंजूरी दे दी। इस मंजूरी से दंत चिकित्‍सक अधिनियम, 1948 के सदंर्भ में भारत दंत चिकित्‍सा परिषद की सदस्‍यता तथा राज्‍य व संयुक्‍त राज्‍य दंत चिकित्‍सा परिषद की सदस्‍यता से संबंधित प्रावधानों में भी संशोधन प्रभावी होगा।

इस संशोधन से दंत चिकित्‍सा परिषदों के पुर्नगठन में सहायता मिलेगी तथा दंत चिकित्‍सा परिषदों में केन्‍द्र सरकार के सदस्‍यों व निर्वाचित सदस्‍यों का प्रतिनिधित्‍व अनिवार्य नहीं रह जाएगा। इस प्रक्रिया से निरर्थकता में कमी आएगी। इस विधेयक को संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा।

दंत चिकित्‍सक अधिनियम, 1948 के निम्‍न धाराओं में संशोधन किया जाएगा

अधिनियम के खंड 3 उपखंड (एफ) के तहत भारत दंत चिकित्‍सा परिषद की सदस्‍यता, और
अधिनियम के खंड 21 उपखंड (बी) और खंड 23 उपखंड (बी) के तहत राज्‍य और संयुक्‍त राज्‍य दंत चिकित्‍सा परिषदों की सदस्‍यता।

अधिनियम के प्रावधानों के तहत खंड 2 में उल्लिखित भारत दंत चिकित्‍सा परिषद में दंत चिकित्‍सक प्रतिनिधि के रूप में केन्‍द्र सरकार के नामित सदस्‍य और राज्‍य दंत चिकित्‍सा परिषद खंड (बी) से निर्वाचित 4/2 सदस्‍यों की प्रासंगिकता समाप्‍त हो गई है। प्रतिनिधित्‍व के प्रावधानों की निरर्थकता को कम करने के लिए केन्‍द्र सरकार ने इन प्रावधानों को समाप्‍त करने का निर्णय लिया है ताकि प्रतिनिधित्‍व की अनिवार्यता को खत्‍म किया जा सके। 

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