भोपाल। विगत दिनों मप्र कैबिनेट में पेंशनरों के डीआर पर छत्तीसगढ़ राज्य सहमति की अनिवार्यता का प्रावधान समाप्त करने का प्रस्ताव पास होने के बाद वित्त विभाग के उपेक्षा पूर्ण रवैये से व्यवधान बरकरार है। सरल शब्दों में कहें तो वित्त विभाग के अफसरों ने मध्यप्रदेश के 4 लाख से ज्यादा रिटायर्ड कर्मचारियों का डीआर रोक रखा है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा कि इसी कारण छत्तीसगढ़ राज्य ने इस मामले में अपनी ओर से कोई पहल नहीं की है, अतः पेंच यथावत फंसा हुआ है। विडम्बना है कि दोनों राज्यों में एक ही दल की सरकार होने के बावजूद मप्र सरकार के कैबिनेट के निर्णय पर वित्त विभाग में कोई हलचल न होना मामले पर गंभीरता उजागर करता है। छत्तीसगढ़ राज्य से भी आपसी सहमति नहीं हो पा रही हैं, वहाँ तो कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए जनवरी 2019 से मिलने वाला तीन फीसदी डीए/डीआर लंबित चल रहा है।
मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री कमलनाथ से मांग करता है वित्त विभाग से प्रभावी पहल के साथ छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री जी को मप्र कैबिनेट के निर्णय जिसमें दोनों राज्यों की सहमति वाले प्रावधान समाप्त करने पर गंभीरतापूर्वक विचार कर प्राथमिकता से निर्णय लेने पर राजी किया जाना चाहिए ताकि दोनों राज्यों के पेंशनरों को राज्य कर्मचारियों के डीए साथ डीआर मिलने का मार्ग प्रशस्त हो सके । अनावश्यक विलंब से पेंशनरों में भारी नाराजगी व्याप्त है जो चिंताजनक है इसकी अनदेखी नहीं होना चाहिए।