17वीं लोकसभा का माहौल शपथ ग्रहण के दौरान जिस तर्ज पर बंटता दिख रहा है यह देशहित में नहीं है और संसद जिसे हर भारतीय की आवाज़ सुनना है, के हित में तो बिलकुल नही | संसद में नव निर्वाचित सांसदों की शपथग्रहण के दौरान भोपाल से निर्वाचित सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और हैदराबाद से निर्वाचित असदुद्दीन ओवैसी के साथ जो हुआ और उन्होंने जो किया, दोनों पर सवाल खड़े हैं| साध्वी प्रज्ञा सिंह और भारी बहुमत से जीती उनकी पार्टी को अनुभवहीनता के नाम पर नहीं बख्शा जा सकता तो असदुद्दीन ओवैसी का अनुभवी होने के बाद किया गया आचरण तो अशोभनीय कहा जा रहा है| उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज तो सबसे ज्यादा अनुभवी हैं,पर वे भी शपथ ग्रहण के दौरान नारे लगाने का लोभ संवरण नहीं कर सके| नारे और भी लगे पर ये तीनों घटनाएँ आगामी हंगामों की नींव बनेगी इसमें कोई दो राय नहीं है. इन हंगामाखेज घटनाओं का राष्ट्रहित से दूर-दूर तक कोई वास्ता कभी रहा नहीं और भविष्य में भी नहीं रहेगा| हंगामों ने हमेशा संसद की कार्यवाही को बाधित किया और इस बार उसके अंदेशे नहीं मंसूबे साफ़ दिख रहे हैं |
सबसे पहले भोपाल की बात. कल भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की शपथ के दौरान लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ| साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे ही शपथ ले रही थीं, तभी विपक्ष के सदस्यों ने उनके नाम को लेकर आपत्ति जताई और हंगामा करने लगे| प्रज्ञा सिंह ठाकुर संस्कृत में शपथ ले रही थीं, जैसे ही उन्होंने संस्कृत में अपने नाम का उच्चारण किया. विपक्ष ने इसका विरोध किया और कहा कि वे सिर्फ अपने नाम का ही उच्चारण करें|साध्वी प्रज्ञा ने संस्कृत में कहा, "मैं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर स्वामी पूर्णचेतनानंद अवधेशानंद गिरी लोकसभा सदस्य के रूप में..." साध्वी प्रज्ञा अभी शपथ ले ही रही थी कि बीच में कुछ सांसदों ने टोका टोकी शुरु कर दी| इसके बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर रुक गईं| यह क्षण इस बात का गवाह बन गया है कि भाजपा ने अपने नये सांसद को संसदीय परम्परा की दीक्षा नहीं दी | प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी पहले पूछ लेना था | संसद राजनीति का अखाडा है, संत सभा नहीं |
लोकसभा में मौजूद अधिकारियों ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कहा कि वे अपने पिता का नाम भी लें, इस बीच विपक्षी सदस्य हंगामा करते रहे| साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने जब दूसरी बार शपथ लेना शुरू किया तो एक बार फिर विपक्षी सांसद हंगामा करने लगे| साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर दूसरी बार फिर बीच में रुक गईं|इसके बाद लोकसभा के अधिकारी सांसदों के रिकॉर्ड से जुड़ी फाइल प्रोटेम स्पीकर डॉ वीरेंद्र कुमार के पास लेकर गए| प्रोटेम स्पीकर ने रिकॉर्ड चेक किया और साध्वी प्रज्ञा से चुनाव अधिकारी द्वारा दिया गया जीत का प्रमाण पत्र भी मांगा| आखिरकार तीसरी बार में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर शपथ ले सकीं, इस हंगामे से उठे औचित्य के प्रश्न का उत्तर भारत की जनता को कौन देगा ? साध्वी प्रज्ञा सिंह, उनकी पार्टी या हंगामा खड़ा करने वाले |
अब हैदराबाद संसद के दूसरे दिन हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी शपथ ली। इस दौरान कुछ सांसदों ने जय श्रीराम और वंदे मातरम् के नारे लगाए। ओवैसी ने हाथ से इशारा करते हुए और तेज नारे लगाने को कहा।नारों और उसे तेज करने के इशारे का क्या औचित्य था?ओवैसी लगातार चौथी बार सांसद चुने गए हैं। संसदीय परम्परा की जानकार होने के बावजूद उन्होंने शपथ के बाद उन्होंने जय भीम, जय मीम, अल्लाह-हू-अकबर और जय हिंद के नारे लगाए। क्या अर्थ है, इस सब का |उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने भी शपथ के बाद भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारे लगाए। इसी दौरान संसद में मौजूद कुछ सांसदों ने मंदिर वहीं बनाएंगे के नारे भी लगाए। क्या इस सबका कोई औचित्य है ?
यह मत भूलिए भारतीय संसद, भारतीय संविधान के मार्गदर्शन में, भारतीयों के हित में विधि निर्माण का अनुष्ठान है, जिसमें भारतीयों द्वारा निर्वाचित सांसद के रूप में आप आसीन है। आपका व्यवहार और बर्ताव कैसा हो ? आप खुद फैसला करें।
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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