भोपाल। लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास करके प्राचार्य कैडर से भर्ती हुए राव कुलदीप सिंह यादव ने अनिवार्य सेवा निवृत्ति के लिए आवेदन दे दिया है। वो इस बात से व्यथित हैं कि वरिष्ठता होने के बावजूद उनके स्थान पर प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी के पद से विभाग में भर्ती हुए केके द्विवेदी को प्रभारी संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय बना दिया गया है।
बता दें कि वर्ष 1994 में पीएससी के माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग में 150 प्राचार्यों की नियुक्ति हुई थी, जबकि प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी, शिक्षा विभाग में 1999 में आए। प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी सेटिंग कर ताबड़तोड़ पदोन्नति लेते गए। जबकि 1994 की पीएससी भर्ती वाले प्राचार्य पीछे रह गए। यह प्राचार्य वर्तमान में उप संचालक के पद पर ही पदोन्नत हो पाए है। जबकि प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी के पद से विभाग में आए केके द्विवेदी को गत दिनों प्रभारी संचालक लोक शिक्षण बनाया गया है। स्कूल शिक्षा में विभागीय अधिकारियों का यह सबसे बड़ा पद होता है।
दूसरी तरफ प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी व प्राचार्य कैडर के बीच सम्मान की लड़ाई चल रही है। जिसका मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है। केके द्विवेदी की नियुक्ति से यह विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। इसी के चलते राव कुलदीप सिंह ने वीआरएस के लिए आवेदन का कर दिया। दरअसल 1994 की पीएससी भर्ती में राव कुलदीप यादव का तीसरा स्थान था। पहले दो स्थान वालों में एक छत्तीसगढ़ चले गए, तो दूसरे अनफीट हो गए। इसके बाद प्राचार्य कैडर की सूची में टॉप तीसरे स्थान पर होने से उनका ही नंबर आता।
अगस्त 2024 में होना थी सेवानिवृत्त
राव कुलदीप यादव 1994 की पीएससी से भर्ती है। उनकी 36 साल की सेवा हो चुके है। वह विभाग में प्राचार्य, डीईओ समेत कई पदों पर रहे है। प्रतिनियुक्ति पर मैपआईटी में भी रहे। उनकी सेवानिवृत्ति 2024 में होना है। लेकिन सम्मान की लड़ाई हार जाने के कारण जून 2019 में ही वीआरएस के लिए आवेदन दे दिया।