भोपाल। विगत दिवस राजधानी भोपाल के हिंदी भवन में मध्यप्रदेश शिक्षक कांग्रेस की प्रांतीय प्रतिनिधि सभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की पत्नी श्रीमती अमृता सिंह ने कहा कि 30 मई 2019 को भारत सरकार की ओर से नई शिक्षा नीति लागू किये जाने संबंधी ड्राफ्ट विचार विमर्श के लिए प्रकाशित किया गया है। जिसमे अच्छाइयां एक प्रतिशत और खामियां 99 प्रतिशत है।
जिसमें भारत के इतिहास को बदलने का षड्यंत्र किया जा रहा है।शिक्षकों को सचेत रहने की आवश्यकता है।कार्यक्रम में मौजूद संगठन के संरक्षक और पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा ने कहा कि शिक्षक कांग्रेस का मूल मंत्र है "पहले कर्तव्य,फिर अधिकार" इसी सूत्र से ही शिक्षक कांग्रेस अपने कार्यों के लिए प्रयास करे।संघ के पूर्व अध्यक्ष व मध्यप्रदेश शिक्षा एवं शिक्षक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष पंडित रामनरेश त्रिपाठी ने कहा जब तक शिक्षक संतुष्ट व प्रसन्न नही होगा तब तक गुणवत्ता नही बनेगी।कार्यक्रम के दौरान अपने उद्बोधन में मंडला शाखा अध्यक्ष ललित दुबे ने जनजातीय कार्य विभाग में पूर्व कार्यरत अधीक्षकों को हटाए जाने की प्रकिया को हिटलरशाही बताया।
पदनाम परिवर्तन के लिए शासन के वचन पत्र की ओर ध्यान आकर्षित किया साथ ही ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम पर अपना विरोध प्रकट किया।जिला शाखा मंडला के सचिव राजकुमार सिंगौर ने रानी साहिबा अमृता सिंह से अलग से मुलाकात कर मंडला में माँ नर्मदा के घटते जल स्तर व लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के संबंध विस्तार पूर्वक बताकर ,उचित कदम उठाने का निवेदन किया।मंडला के प्रतिनिधि मंडल में ललित दुबे,राजकुमार सिंगौर,अखिलेश चंद्रोल,विवेक शुक्ला,शेल दुबे,अनिल मरकाम शामिल थे।प्रतिनिधि मंडल कार्यक्रम के बाद श्री ओमकार सिंह मरकाम जनजातीय कार्य विभाग केबिनेट मंत्री के आवास में जाकर उनका स्वागत करके मंडला की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने हेतु अपने संगठन का ज्ञापन सौपा।
संगठन के पदाधिकारी मंत्रालय में जाकर मंडला के प्रभारी मंत्री श्री तरुण भानोट वित्त मंत्री मध्यप्रदेश शासन से उनके कक्ष में जाकर सौजन्य भेंट किये,स्वागत किये तथा शिक्षा विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार के संबंध चर्चा कर दागी अधिकारियों को शीघ्र हटाने एवं उनके विरुद्ध जांच कराने की अपनी मांग को पुरजोर तरीके से रखा।शिक्षक कांग्रेस समस्त संवर्ग के शिक्षकों के लिए हमेशा संघर्षरत रहता है।कांग्रेस पार्टी द्वारा विधान सभा चुनाव के समय दिए गए वचन पत्र के अनुसार शिक्षकों के पदनाम सहित अन्य मांगों के निराकरण के लिए लगातार अपनी आवाज को बुलंद करते रहेगा जब ताकि पूरी बातें लागू न हो जाएं।