भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि क्या गारंटी है कि संविदा कर्मचारियों को नियमित कर दिया जाएगा तो प्रदेश में बिजली की व्यवस्था सुधर जाएगी। आधा घंटे-दो घंटे बिजली चली जाती है और कहा जाता है कि मेंटनेंस हो रहा है। यह सब जानते है कि मेंटेनेंस में चार घंटे का समय लगता है। आखिर जब प्रदेश में पर्याप्त बिजली है तो आधा घंटे-एक घंटे बिजली क्यों बंद की जा रही है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ मंगलवार को मंत्रालय में मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एम्प्लाईज एवं इंजीनियर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर साल दो हजार करोड़ की बिजली का उपयोग ही नहीं हो पाता और यह कहा जाता है कि बिजली की मांग ज्यादा हो गई। इसलिए मांग और आपूर्ति की स्थिति स्पष्ट होना चाहिए। बैठक के दौरान इंजीनियर्स ने सीएम को बताया कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान यह कहा गया था कि बिजली की खपत ज्यादा बताई जाए, जबकि उतनी थी नहीं।
सीएम ने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली मिले, जिससे वे संतुष्ट हों और विद्युत विभाग की खराब छवि में सुधार आए। इसके लिए सभी विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारी समर्पण भावना से काम करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी बिजली कर्मचारियों को आत्म-चिंतन करने की आवश्यकता है।
सरकार को सबसे ज्यादा निंदा का शिकार होना पड़ा
मुख्यमंत्री नाथ ने कहा कि बिजली की अघोषित कटौती और विद्युत वितरण व्यवस्था सुचारु न होने के कारण सरकार को नागरिकों की आलोचना का शिकार होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि बिजली विभाग अपनी छवि सुधारने के लिए काम में व्यापक सुधार लाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी चिंता यह है कि प्रदेश में विद्युत व्यवस्था स्थाई रूप से सुदृढ़ बने। उन्होंने कहा उपभोक्ताओं की संतुष्टि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके साथ कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा।
प्रतिनिधियों ने सीएम से कहा कि बिजली कंपनियों में नियमित कर्मचारी- अधिकारी 15 साल में 60 हजार से घटकर 34 हजार रह गए हैं। इस दाैरान इन्फ्रास्ट्रक्चर और उपभाेक्तओं की संख्या में बहुत फर्क आया है। इतने कर्मचारियों से बिजली सप्लाई व्यवस्था कैसे कंट्रोल हाेगी। इसलिए नियमित कर्मचारियों की भर्ती की जाए। संगठन ने सीएम काे छह बिजली कंपनियों के कर्मचारियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी आंकड़े भी दिखाए। बैठक में मुख्य सचिव एसआर माेहंती एवं ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव आईसीपी केसरी भी मौजूद थे।