नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति में बीएड करने वाले छात्रों को अनिवार्य रूप से नौकरी देने की सिफारिश की गई है। इसके तहत आने वाले दिनों में बीएड करने के बाद लोग बेरोजगार नहीं घूमेंगे। फिलहाल यह नीति सरकार के पास विचाराधीन है, जिसे लेकर देश भर से सुझाव मांगे गए हैं। इसके साथ ही बीएड में दाखिला लेने वाले छात्रों को मेरिट के आधार पर छात्रवृत्ति देने की बात भी कही गई है।
इस नई प्रस्तावित शिक्षा नीति में शिक्षक के पेशे में अच्छी प्रतिभाओं के न आने को लेकर भी चिंता जताई गई है। साथ ही कहा गया है कि यह तभी संभव होगा, जब शिक्षक के पेशे को सम्मान दिया जाएगा। इसके लिए जरूरी है यह है कि उन्हें पढ़ाई के समय से ही अच्छी सुविधाएं, छात्रवृत्ति और पढ़ाई खत्म करने के बाद अनिवार्य रूप से नौकरी दी जाए। खास कर ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की पहल की सबसे ज्यादा जरूरत है। इस मसौदे में बीएड के चार वर्षीय कोर्स पर तेजी लाने का भी प्रस्ताव है। मसौदे में शिक्षक तैयार करने वाले देश के 17 हजार संस्थानों पर भी सवाल खड़े किए गए है। साथ ही इनके ढांचे को मजबूत बनाने की भी सिफारिश की गई है।
पढ़ाई को सभी कामों से किया जाए अलग
नई शिक्षा नीति के मसौदे में शिक्षकों को अध्यापन के अलावा सभी गैर जरूरी कामों से अलग करने की सिफारिश भी की गई है। इनमें चुनावी ड्यूटी से मुक्त रखने, मिड-डे मील या दूसरे सर्वे आदि कामों से अलग रखने की सिफारिशें की गई हैं। शिक्षकों को समय पर अध्यापन और तकनीक से जुड़ी विशेष ट्रेनिंग देने की भी बात कही गई है।
शिक्षकों की जरूरत का किया जाए अध्ययन
मसौदे में शिक्षकों की जरूरत का पता लगाने के लिए हरेक पांच साल में एक अध्ययन की भी सिफारिश की गई। जो प्रत्येक राज्यों को करनी होगी। इस पूरी कवायद के पीछे जो कारण है, वह यह है की शिक्षकों की आने वाली जरूरत को समय से पहले पहचाना जा सके, ताकि समय रहते जरूरी प्रबंध किए जा सकें।
निजी स्कूलों में भी टीईटी पास शिक्षक की हो नियुक्ति :
प्रस्तावित मसौदे में टीईटी (टीचर एलिजविलिटी टेस्ट) को निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए भी अनिवार्य करने की सिफारिश की गई है। मौजूदा समय में यह सिर्फ सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए ही अनिवार्य है।
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