जब ब्लेड का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग शेविंग कैसे करते थे | GK HINDI

राजस्थान यूनिवर्सिटी से पास आउट मनोज लालवानी ने इस बारे में बड़ा अध्ययन किया है। मनोज लालवानी बताते हैं कि सिकंदर ने अपनी समस्त सेना को बिना दाढ़ी के रहने का फ़रमान जारी कर रखा था। कारण कि युद्ध के समय दुश्मनों के हाथ, सिकंदर के सैनिकों को दाढ़ी से ना पकड़ सकें। सिकंदर ख़ुद भी क्लीन शेव रहता था। 

प्राचीन काल में लोग शेविंग कैसे करते थे | How were people shaving in ancient times

ये कहा जा सकता है कि शेविंग का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना की मानव सभ्यता का। यह पाषाण क़ालीन सभ्यता से चला आ रहा है। हर काल में पुरुषों द्वारा दाढ़ी हटाने की ज़रूरत निजी पसन्द के अलावा, कभी ज़रूरत, कभी सांस्कृतिक मान्यता, तो कभी प्रचलित फ़ैशन पर निर्भर रही है। आज हमारे पास इस कार्य के लिये आधुनिक रेज़र और इलेक्ट्रिक शेवर उपलब्ध हैं। पर प्राचीन काल का क्या जब मनुष्य को यह सभी उपकरण उपलब्ध नहीं थे? आइये देखते हैं प्राचीन काल के पुरुषों द्वारा दाढ़ी हटाने के लिए अपनाए गए तौर तरीक़ों को।

चकमक पत्थर (Flint-फ़्लिंट)


पाषाण काल यह पत्थर घिस घिस कर, छीलन कर धारदार बना लिये जाते थे। इन्हें दैनिक ज़रूरतों के हिसाब से अलग अलग आकारों में ढाल लिया जाता था। क्लीन शेव रहना उस समय उदेश्य नहीं हुआ करता था। बस इतना कि दाढ़ी के बालों को इतना छोटा कर लिया जाये कि ताकि उन पर पसीना जमा ना हो कर संक्रमण पैदा ना करे। आज भी कुछ आदिवासी प्रजातियाँ इन पत्थरों से बने धारधार वस्तुओं का प्रयोग करती हैं।

सीपियाँ (Seashell - सीशैल)

दो सीपियों को मिला कर उन्हें चिमटी (Tweezer - ट्वीज़र) का रूप दे दिया जाता था। अनचाहे बालों को हटाने का उस समय यह काफ़ी प्रचलित तरीक़ा हुआ करता था। क्लैमशैल (ClamShell) भी विशेष रूप से काम में ली जाती थी।

धातु (Metal - मैटल) से बने औज़ार

जब और सभ्यता का विकास हुआ तो मानव कांस्य युग (Bronze Age - ब्रॉंज़ एज) में आया।अब धातू से बनी धारधार वस्तुऐं, पत्थरों के मुक़ाबले ज़्यादा टिकाऊ हुआ करती थी। अनचाहे बालों को हटाने के लिये भिन्न भिन्न तरह के औज़ार बनाये गए। इन सभी औज़ारों का उल्लेख मिस्त्र (Egyptian - इजिप्शन) सभ्यता में मिलता है। शेव करने की ये वस्तुऐं मिस्त्र के मक़बरों में पायी गयी। उस समय मिस्त्र निवासियों के मरने के पश्चात, यह वस्तुएँ भी उसकी मृत देह के साथ दफ़न कर दी जाती थी।

रेजर का आविष्कार कब हुआ, नाई पेशे की शुरूआत कब हुई | When was the invention of razor, When did the hairdressing profession begin

सभ्यता के विकास के साथ साथ फिर अन्य औज़ार भी विकसित हुए, जिन्हें आधुनिक समय के रेज़र की नींव कह सकते हैं। यह सभी मुख्यतः रोम के निवासियों द्वारा प्रयोग में लिये गये। इस समय तक साबुन का आविष्कार भी हो चुका था। नाई की दुकानें (Barbar Shop - बार्बर शॉप) प्रचलन में आने लग गयी थी। गीली शेव (Wet Shaving - वैट शेविंग) का चलन भी इसी समय का माना जाता है। नाई, उस समय, शेव करने से पहले, गरम पानी में भीगा तौलिया चेहरे पर रखा करते थे।

उस्तरा (Straight razor -स्ट्रेट रेज़र) का आविष्कार कब हुआ

1700 वीं शताब्दी तक आते आते उस्तरे का अविष्कार हो चुका था। यह शेफ़ील्ड, इंग्लैंड ( Sheffield, England) में निर्मित किया गया था। वहाँ से यह प्रचलित होते होते विश्व के अन्य भागों में पहुँचा। 1740 तक यह उस्तरा, स्टील में भी बनाया जाने लगा, जिसने लोहे से बने उस्तरे को हर शेव से पहले घिसने की समस्या से छुटकारा दिलाया था। उस्तरे का यह स्वरूप आज तक भी प्रचलित है। आज भी नाई उस्तरे का यही डिज़ाइन पसन्द करते हैं, बस आज के उस्तरों में ब्लेड चेंज किये जा सकते हैं। 

मॉडर्न होम रेज़र या सेफ़्टी रेज़र (Safty Razor) की शुरूआत कब हुई

उस समय क्लोज़ शेविंग की एक समस्या हुआ करती थी कि लोगों को नाई के पास जाना पड़ता था। घर पर बिना अन्य किसी की सहायता के क्लीन शेव का कोई औज़ार नहीं हुआ करता था।

दूसरी समस्या यह थी कि उस्तरा चलाते वक़्त थोड़ी सी भी चूक से गाल या गर्दन पर कट आ जाया करता था। इस वजह से उस्तरों को उस समय, गला काट उस्तरा (Cut Throat Razor) भी कहा जाता था।

तीसरी समस्या जो सालों से चलती आ रही थी कि उस्तरे की धार अक्सर तेज़ करनी पड़ती थी।

जिलेट कंपनी की शुरूआत कैसे हुई | How did the Gillette company begin

इस समस्या को समझा एक सेल्ज़मैन किंग सी जिलेट (King C. Gillette) ने। 1895 में जिलेट ने पहला सेफ़्टी रेज़र ब्लेड बनाया। इस ब्लेड की ख़ास बात यह थी कि यह डिस्पोज़बल था। मतलब बार बार धार तेज़ करने की जगह ब्लेड ही बदल दो। दूसरा यह कि शेव अब घर पर आसानी से की जा सकती थी और चेहरे पर कट आने की सम्भावना भी पारम्परिक उस्तरे के मुक़ाबले बहुत कम थी।

कुछ ही सालों में जिलेट जाना माना नाम बन गया। 1904 में जिलेट को “सेफ़्टी रेज़र” का पैटेंट भी मिल गया। इसके बाद जिलेट की लोकप्रियता का यह आलम हुआ कि कम्पनी को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकन आर्मी के लिये विशेष शेविंग किट बनाने का ऑर्डर मिला।

बाद में जिलेट जैसे हर घर की ज़रूरत बन गया। जिलेट की ख़ास बात यह कि उसने ब्लेड और रेज़र के डिज़ाइन में परिवर्तन जारी रखा। 1971 में ट्वीन ब्लेड रेज़र का अविष्कार भी जिलेट की देन है। 1998 में जिलेट ट्रिपल ब्लेड ले कर आया। आज जो हम पुरुष घर में शेविंग के लिये आधुनिक रेज़र काम में लेते हैं, वो डिज़ाइन जिलेट की ही देन है। जिलेट कम्पनी की टैगलाइन “ हम रेज़र ब्लेड बनाना छोड़ देंगे, अगर हम उन्हें और बेहतर नहीं कर पायें तो”

इलेक्ट्रिक रेज़र (Electric Razor) या ड्राई रेज़र (Dry Razor)

1930 में पहला इलेक्ट्रिक रेज़र निकाला गया। इसे जेकब शिक (Jacob Schick) ने बनाया था। इसके बाद इलेक्ट्रिक रेज़र में और भी सुधार होते गये। रेज़र के साथ हेयर ट्रिमर भी वक़्त के अनुसार विकसित हुए। आधुनिक समय के इलेक्ट्रिक रेज़र देखिये। यह ट्रिमिंग और क्लोज़ शेविंग दोनों में सहायक है।

अब आगे क्या होगा

पुरुषों की शेविंग में नये नए आइडिया पर अब तक काम जारी है। कम्पनियाँ अब सिर्फ़ क्लोज़ शेव पर ज़ोर नहीं देती।
अब उनका नारा है
क्लोज़, क्विक एंड कम्फ़्टर्बल शेव

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