यदि आप शताब्दी एक्सप्रेस या ऐसी ही किसी भी चेयर कार में देखेंगे तो बोगी में आधे यात्रियों की सीटें इंजन की ओर और आधी सीटें इंजन के विपरीत होतीं हैं परंतु यात्री विमान कितना भी बड़ा क्यों ना हो, सारी सीटें पायलट की तरफ ही होतीं हैं। यानी उस दिशा में जिसमें विमान आगे बढ़ता है। सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है। फ्लाइट में सभी सीटें पंक्तिबद्ध क्यों होतीं हैं। आमने सामने क्यों नहीं होतीं।
विज्ञान के छात्र रहे Jay Yadawa का कहना है कि हमेशा ऐसा नहीं होता परंतु ज्यादातर होता है। जय का कहना है कि यदि आप बिजनेस क्लास में सफर करते हैं तो संभव है आपको विपरीत दिशा में सीटें मिल जाएं। ब्रिटिश एयरवेज में अक्सर ऐसा मिल जाता है। अब अपने प्रश्न पर वापस आते हैं।
फ्लाइट में सीटों का मुंह आगे क्यों होता है
इसकी वजह है सामाजिक कंडीशनिंग। लोग जहाज बनाने से पहले कार में बैठते थे और कार में सीट का मुंह हमेशा आगे की तरफ ही होता है। यकीन मानिये, इसकी वजह सिर्फ यही है की ऐसा ही शुरू शुरू में बना और चलता आ रहा है आज तक। लोगों को पीछे की मुंह वाली सीट पर बैठना शायद उटपटांग लगता।
सुरक्षा के हिसाब से कैसा होना चाहिए :
सुरक्षा के हिसाब से सीटों का मुंह पीछे का होना चाहिए। इसको समझने के लिए आपको न्यूटन जी का पहला नियम समझना होगा। इनके पहले नियम के अनुसार - चलती हुई चीज सीधी रेखा में चलते रहना चाहती है जब तक उस पर कोई बाहरी बल ना लगाया जाये। अब मान लीजिये की प्लेन क्रैश लैंडिंग कर रही है जिसकी जहाज दुर्घटना में सबसे अधिक सम्भावना होती है। हमको एक बार इसका सामना भी करना पड़ा था बहुत पहले। जिन्होंने भी हवाई जहाज में सफर किया है उनको मालुम होगा की जब प्लेन टेक ऑफ करती है तो एयर होस्टेस आपको आपातकालीन लैंडिंग की जानकारी देगीं।
अब न्यूटन के नियम पर ध्यान दीजिये:
अगर सीट का मुंह आगे है तो जब जहाज एक्सीडेंट के वक्त क्रैश लैंड कर रही है तो आपका शरीर आगे की तरफ खिंच जाएगा और सीट बेल्ट आपके पेट पर जोर डालेगी। आपके सर पर भी चोट आ सकती है इसलिए सीट बेल्ट को पहनना अनिवार्य होता है। एयर होस्टेस खुद चेक करेगी और जब तक आपका सीट बेल्ट नहीं हो आपका पीछा नहीं छोड़ेगी। अगर सीट का मुंह पीछे होता तो लैंडिंग के वक्त आपका शरीर पीछे की तरफ जाता और पीछे सीट है इसलिए आप सुरक्षित रहते। हर एक्सपर्ट यही कहता है की पीछे के मुंह की जहाज़ ही सुरक्षित है। इसका प्रमाण है और हर शोध यही कहता है।
अगर सुरक्षित है तो सीट पीछे मुंह की क्यों नहीं होती :
इसकी एक नहीं अनेक वजह है। हर जहाज में अगर बदलना पड़े तो बहुत पैसे लगेंगें।
एयरलाइन्स पैसे खर्च करने में बहुत ही कंजूस हैं।
लोगों को जब प्लेन टेक ऑफ कर रही है तो खिड़की से बाहर देखना अच्छा लगता है। लोगों को अगर सीट का मुंह पीछे हो जाए तो उल्टा लगेगा।
FAA (फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन) ने इसका नियम अभी लागू नहीं किया है।
विडम्बना यह है की हम लोग इतने सालों से असुरक्षित तरीके से सफर कर रहे हैं।