सीहोर। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के सिंधिया समर्थक परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत (GOVIND SINGH RAJPUT MINISTER) बुरे फंस गए हैं। वो सीहोर में तहसीलदार ऑफिस (TEHSIL OFFICE SEHORE) में छापामार कार्रवाई (RAID) करने गए थे लेकिन वहां उन्होंने जिस तरह का 'मंत्रीगिरी' दिखाई, लेने के देने पड़ गए। अब स्थिति इधर कुआं उधर खाई वाली हो गई है। प्रतिष्ठा दांव पर लग गई है।
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घटनाक्रम क्या हुआ
मंगलवार को परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत बिना पूर्व सूचना के सीधे सीहोर जिला मुख्यालय स्थित तहसील कार्यालय पहुंच गए। यहां उन्होंने तहसीलदार के कक्ष के साइड में कुर्सी लगा ली। उनके साथ गए अफसरों ने तहसील में रखी फाइलों की पड़ताल शुरू कर दी। कई खामियां निकाली जाने लगीं। पूरा माहौल 'रेड' जैसा हो गया था। सूचना मिलते ही कलेक्टर अजय गुप्ता भी मौके पर पहुंच गए। कलेक्टर के आते ही मंत्री ने तमतमाना शुरू कर दिया। उन्होंने तहसीलदार सुधीर कुशवाह (TEHSILDAR SUDHIR KUSHWAH) पर अनियमितताओं और लापरवाही का आरोप लगाया और तत्काल सस्पेंड करने का ऐलान कर दिया। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के तीखे तेवरों को शांत कराने और अपना पक्ष रखने के लिए तहसीलदार सुधीर कुशवाह मंत्री की कार के पास तक पहुंचे लेकिन मंत्री ने एक नहीं सुनी ओर चले गए।RAJASWA ADHIKARI SANGH ने हड़ताल की धमकी दी
अब मामले ने तूल पकड़ लिया। भोपाल में राजस्व अधिकारी संघ ने हड़ताल की धमकी दे दी। संघ के प्रांताध्यक्ष नरेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि यदि तहसीलदार को सस्पेंड किया गया तो आंदोलन होगा। इधर भोपाल कमिश्नर कल्पना श्रीवास्तव का कहना है कि अभी उनके पास ऐसे कोई निर्देश नहीं हैं।TEHSILDAR के DAIS पर बैठ गए OSD व मंत्री
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर आरोप लगाया गया है कि मंत्री जब तहसील कार्यालय पहुंचे तो सीधे तहसीलदार के डायस पर जाकर बैठ गए। वे भूल गए कि तहसीलदार कार्यालय का डायस तहसील न्यायलय का हिस्सा होता है। वहां केवल मजिस्ट्रेट ही बैठ कसता है। मंत्री या वरिष्ठ अधिकारी तहसीलदार के कक्ष में उनकी कुर्सी पर बैठ सकते हैं परंतु डायस पर नहीं। बताया गया है कि मंत्री के साथ उनके ओएसडी कमल नागर भी डायस पर बैठ गए, जबकि नागर खुद राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा संघ ने मंत्री पर कानून के उल्लंघन का आरोप लगा दिया।अब सफाई दे रहे हैं MINISTER GOVIND SINGH RAJPUT
मंत्री गोविंद राजपूत ने बताया कि पिछले दिनों भोपाल में समीक्षा बैठक के दौरान तहसील कार्यालयों में अव्यवस्थाओं की शिकायतें मिली थीं। इसलिए शिकायतों की जांच के लिए मैंने पहला दौरा सीहोर कार्यालय का किया। यहां वर्ष 2018 में सूचना के अधिकारी का एक भी मामला रजिस्टर में दर्ज नहीं था। जबकि ढेरों आवेदन पड़े थे। आमजनों की शिकायत दर्ज करने के लिए रजिस्टर ही नहीं था। यहां सीमांकन के 191 और शासकीय जमीन पर अतिक्रमण संबंधी 13 मामले लंबे समय से लंबित हैं। नामांतरण के भी 371 मामले लंबित मिले। बी-4 में तो इन्होंने कलेक्टर से अनुमोदन ही नहीं लिया।मंत्री गोविंद राजपूत से जुड़ीं अन्य खबरों के लिए कृपया यहां क्लिक करें