भोपाल। GST लागू हुए 22 महीने हो चुके हैं, लेकिन अब भी पहले साल (1 जुलाई 2017 से 31 मार्च 2018) के कारोबार का रिटर्न (GST RETURN) नहीं भरा जा सका है। पहले जीएसटी काउंसिल ही इसके लिए फाॅर्मेट तय नहीं कर सकी। जब तय किया तो इतना जटिल हो गया है कि इसे भरने में कारोबारियों के पसीने छूट रहे हैं। कारोबारी से लेकर कर सलाहकार तक इसे काफी जटिल बता रहे हैं। हालत यह है कि 30 जून तक इसे भरना है, लेकिन प्रदेश में जीएसटी में रजिस्टर्ड चार लाख कारोबारियों में से 10 हजार भी अब तक यह रिटर्न नहीं भर सके हैं।
अंतिम तारीख के बाद देरी करने पर रोज 200 रुपए की पेनल्टी लगने का प्रावधान है। मप्र टैक्स लाॅ बार एसोसिएशन, कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इसके लिए अंतिम तारीख 31 दिसंबर करने की मांग कर चुके हैं। वहीं, अहिल्या चैंबर ऑफ कॉमर्स इस रिटर्न के ही खिलाफ है। उसका कहना है कि जब हर महीने रिटर्न और टैक्स ले रहे हैं तो सरकार को अलग से इस रिटर्न की जरूरत क्यों पड़ रही है?
यह रिटर्न सालभर में जीरो कारोबार करने वाले को भी भरना है। यदि वह पहले का कोई रिटर्न भरने से चूक गया है तो उसे पहले सारे 3 बी, जीएसटीआर-1 रिटर्न भरना होेंगे। इसके बाद ही यह सालाना रिटर्न भरा जा सकेगा।
जीएसटीआर-9 रिटर्न में ये नियम कर रहे परेशान
- यह रिटर्न भरते समय यदि कोई टैक्स भरने की जिम्मेदारी आती है तो इसका प्रावधान है, लेकिन कारोबारी का यदि कोई टैक्स क्रेडिट निकलता है तो वह व्यवस्था नहीं है।
- पुराने रिटर्न के संशोधन कारोबारियों ने 2018-19 में भरे रिटर्न में कर दिए हैं, लेकिन जब सालाना रिटर्न भर रहे हैं तो पुरानी गलतियां फिर बताई जा रही हैं। इन्हें मैन्युअली एक-एक कर ठीक करना पड़ेगा।
- जीएसटीआर-9 में एचएसएन इनवर्ड समरी मांगी गई है, जिसका व्यवसायी के पास रिकाॅर्ड नहीं रखा गया है। इसलिए यह जानकारी देना लगभग असंभव है।
- किसी व्यवसायी को माल की बिक्री के अतिरिक्त ब्याज, कृषि कार्य, शेयर आदि से आय हुई है तो उसकी डिटेल एनुअल रिटर्न में देना है या नहीं, इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है।
- व्यवसायी से कोई बिक्री बताने से छूट गई है और इन्हें बाद में बताना है तो वह ऐसी बिक्री पर लगने वाले जीएसटी को अपने पास रखे इनपुट टैक्स क्रेडिट से समायोजित कर सकते हैं अथवा नहीं, इस बारे में भी स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इससे भी व्यवसायी को परेशानी हो रही है।
सभी जानकारी के बावजूद रिटर्न भरने में लग रहे दो घंटे
वरिष्ठ कर सलाहकार आरएस गोयल ने कहा कि यदि कारोबारी के पास सभी जानकारी है तो भी उनका रिटर्न भरने में करीब दो घंटे लगना सामान्य बात है। यदि जानकारी व्यवस्थित नहीं है तो फिर इसमें घंटों लग जाएंगे। कारोबारी को अभी से सभी जानकारी जुटाकर अपने कर सलाहकार को देना चाहिए, ताकि कोई कमी हो तो अभी दूर हो सके। नहीं तो इसमें ऐनवक्त पर रिटर्न भरने का मौका नहीं मिलेगा।
अंतिम तारीख के बाद देरी करने पर रोज 200 रुपए की पेनल्टी लगने का प्रावधान है। मप्र टैक्स लाॅ बार एसोसिएशन, कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन इसके लिए अंतिम तारीख 31 दिसंबर करने की मांग कर चुके हैं। वहीं, अहिल्या चैंबर ऑफ कॉमर्स इस रिटर्न के ही खिलाफ है। उसका कहना है कि जब हर महीने रिटर्न और टैक्स ले रहे हैं तो सरकार को अलग से इस रिटर्न की जरूरत क्यों पड़ रही है?
यह रिटर्न सालभर में जीरो कारोबार करने वाले को भी भरना है। यदि वह पहले का कोई रिटर्न भरने से चूक गया है तो उसे पहले सारे 3 बी, जीएसटीआर-1 रिटर्न भरना होेंगे। इसके बाद ही यह सालाना रिटर्न भरा जा सकेगा।
जीएसटीआर-9 रिटर्न में ये नियम कर रहे परेशान
- यह रिटर्न भरते समय यदि कोई टैक्स भरने की जिम्मेदारी आती है तो इसका प्रावधान है, लेकिन कारोबारी का यदि कोई टैक्स क्रेडिट निकलता है तो वह व्यवस्था नहीं है।
- पुराने रिटर्न के संशोधन कारोबारियों ने 2018-19 में भरे रिटर्न में कर दिए हैं, लेकिन जब सालाना रिटर्न भर रहे हैं तो पुरानी गलतियां फिर बताई जा रही हैं। इन्हें मैन्युअली एक-एक कर ठीक करना पड़ेगा।
- जीएसटीआर-9 में एचएसएन इनवर्ड समरी मांगी गई है, जिसका व्यवसायी के पास रिकाॅर्ड नहीं रखा गया है। इसलिए यह जानकारी देना लगभग असंभव है।
- किसी व्यवसायी को माल की बिक्री के अतिरिक्त ब्याज, कृषि कार्य, शेयर आदि से आय हुई है तो उसकी डिटेल एनुअल रिटर्न में देना है या नहीं, इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है।
- व्यवसायी से कोई बिक्री बताने से छूट गई है और इन्हें बाद में बताना है तो वह ऐसी बिक्री पर लगने वाले जीएसटी को अपने पास रखे इनपुट टैक्स क्रेडिट से समायोजित कर सकते हैं अथवा नहीं, इस बारे में भी स्पष्ट प्रावधान नहीं है। इससे भी व्यवसायी को परेशानी हो रही है।
सभी जानकारी के बावजूद रिटर्न भरने में लग रहे दो घंटे
वरिष्ठ कर सलाहकार आरएस गोयल ने कहा कि यदि कारोबारी के पास सभी जानकारी है तो भी उनका रिटर्न भरने में करीब दो घंटे लगना सामान्य बात है। यदि जानकारी व्यवस्थित नहीं है तो फिर इसमें घंटों लग जाएंगे। कारोबारी को अभी से सभी जानकारी जुटाकर अपने कर सलाहकार को देना चाहिए, ताकि कोई कमी हो तो अभी दूर हो सके। नहीं तो इसमें ऐनवक्त पर रिटर्न भरने का मौका नहीं मिलेगा।