कन्हैयालाल लक्षकार। शिक्षा विभाग में शिक्षकों को विश्रामावकाश विभाग के कारण हिकारत भरी निगाह से देखा जाता है। मप्र शासन स्कूल शिक्षा विभाग भी साल दर साल शिक्षकों के अवकाश में लगातार कटौती करता चला आ रहा है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ प्रदेश की कमलनाथ सरकार से मांग करता है कि शिक्षा विभाग को विश्रामावकाश विभाग से मुक्त करने का साहसिक व एतिहासिक फैसला लेकर शिक्षकों को अन्य विभागों के कर्मचारियों के समान प्रतिवर्ष तीस दिन "अर्जित अवकाश" स्वीकृत किये जावे।
विश्रामावकाश विभाग का तमगा शिक्षकों को अब ऐसा चुभता है जैसे कश्मीर की धारा-370 व 35ए ; कारण साफ है पूर्व में ग्रीष्म/दशहरा/दीपावली व शीतकालीन अवकाश के रूप में 61+24+07=92 दिन अवकाश दिये जाते थे। इनमें साल दर साल कटौती तो की गई लेकिन इनके एवज में कोई लाभ नहीं दिया गया है। सन् 1998 से 10 दिन "अर्जित अवकाश" अवकाश कटौती के एवज में स्वीकृत किये थे, जो 2008 में भूतलक्षी प्रभाव से समाप्त किया जा चुके है। सरकार के इस निर्णय से शिक्षकों को दोहरा नुकसान हुआ है।
अवकाश भी कम हो गये व अर्जित अवकाश भी नहीं मिले। शिक्षकों को अन्य विभागों के कर्मचारियों के साथ अवकाश जिसमें सामान्य/तीन एच्छिक/तीन स्थानीय/द्वितीय, तृतीय शनिवार 52 रविवार, तीस अर्जित अवकाश दिये जावे। छात्रों के अवकाश से शिक्षकों का कोई लेना-देना नहीं शासन इनके लिए सुविधानुसार अवकाश रखें न रखें । अन्य शासकीय कार्यालयों के साथ विद्यालय भी बारहों माह खुले रहेंगे तो शिक्षक "शिक्षण-प्रशिक्षण" के लिए तैनात मिलेंगे।
लेखक कन्हैयालाल लक्षकार मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष हैं।