भोपाल। 2019 में पास होकर आ रहे सभी एमबीबीएस स्टूडेंट्स प्रेक्टिस नहीं कर पाएंगे क्योंकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने इनका रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया है। सारा टंटा मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय जबलपुर के प्रबंधन की लापरवाही का है। 2014 से संचालित इस यूनिवर्सिटी ने अब तक मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से मान्यता ही नहीं ली है।
मध्यप्रदेश में कुल 11 मेडीकल कॉलेज हैं। इनमें सरकारी और प्राइवेट दोनों शामिल हैं। इन कॉलेजों के विद्यार्थियों से शपथ पत्र लेने के बाद प्रॉविजनल रजिस्ट्रेशन दिया जा रहा है। इंटर्नशिप समाप्ति से पहले यदि मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय को एमसीआई से मान्यता नहीं मिली तो छात्रों के स्थाई रजिस्ट्रेशन की पात्रता समाप्त कर दी जाएगी। इस संबंध में मेडिकल काउंसिल भोपाल के रजिस्ट्रार ने सभी कॉलेजों के डीन को नोटिस भी भेजा है।
प्रॉविजनल रजिस्ट्रेशन जारी किए जा रहे हैं
मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल भोपाल के रजिस्ट्रार रजिस्ट्रार द्वारा प्रदेश के 11 सरकारी और प्राइवेट मेडिकल के डीन को जारी नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि आपका मेडिकल कॉलेज मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की वेबसाइट पर मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय जबलपुर से मान्यता प्राप्त नहीं है। इसके बाद भी एमबीबीएस पास हुए विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1956 की धारा 25 के निर्देशानुसार निर्धारित प्रारूप में शपथ-पत्र लेकर उन्हें प्रॉविजनल रजिस्ट्रेशन जारी किए जा रहे हैं। इन छात्रों की इंटर्नशिप समाप्त होने से पहले यदि मेडिकल विश्वविद्यालय जबलपुर से मान्यता नहीं ली गई और एमसीआई की वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं हुई तो विद्यार्थियों को स्थाई रजिस्ट्रेशन की पात्रता नहीं होगी।
एमबीबीएस डिग्री पूरी होने के बाद भी किसी काम के नहीं रह जाएंगे
जाहिर है बीएमसी से एमबीबीएस फाइनल प्रोफ करने के बाद इंटर्नशिप कर रहे 74 मेडिकल विद्यार्थियों के साथ प्रदेश के भोपाल, इंदौर, रीवा, ग्वालियर, जबलपुर के सभी सरकारी व प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी भी इससे प्रभावित होंगे। मेडिकल काउंसिल द्वारा भरवाए जा रहे शपथ पत्र में यह कथन देना पड़ रहा है कि यदि एमसीआई की मान्यता यूनिवर्सिटी को नहीं मिलती है, तो मुझे एमसीआई में रजिस्ट्रेशन प्राप्त करने का अधिकार नहीं रहेगा। विद्यार्थियों का कहना है कि एमबीबीएस डिग्री पूरी होने के बाद वे न तो प्री-पीजी परीक्षा दे पाएंगे और न ही जूनियर व सीनियर रेजीडेंट-शिप कर सकेंगे।
शपथ पत्र भरवाना कोई इश्यू नहीं है
डॉ. आरके शर्मा, कुलपति, मप्र मेडिकल साइंस विश्वविद्यालय जबलपुर का कहना है कि अभी तक प्रदेश के मेडिकल कॉलेज अलग-अलग यूनिवर्सिटी से संबद्ध थे। अब यह मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में आ गए हैं, इस कारण प्रक्रिया में देरी हुई है। हम तेजी से प्रयास कर रहे हैं कि वेबसाइट पर सभी कॉलेज हमारी यूनिवर्सिटी से संबद्ध दिखें। यह एमबीबीएस का पहला बैच है, जिसे हम डिग्री देंगे। कॉलेजों के दस्तावेज में अभी भी पुराने विश्वविद्यालयों के नाम लिखे हैं। मेडिकल काउंसिल के हिसाब से हम प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। शपथ पत्र भरवाना कोई इश्यू नहीं है।