MONGOOSE CRICKET BAT की खास बात क्या है, क्या इसे बैन कर दिया गया है

Bhopal Samachar
क्रिकेट के खेल में हर उपकरण का महत्व होता है। पूरे खेल में क्रिकेट का बैट सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है। बल्ला ही है जो घूमता है तो सारा स्टेडियम चहक उठता है। क्रिकेट खेल की शुरूआत में बैट का उपयोग रक्षा के लिए किया जाता था और बॉल हमला करने के लिए लेकिन अब दोनों ही उपकरण हमला करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। बैट से बॉल की पिटाई देखने के लिए ही तो दुनिया स्टेडियम में आकर जमा हो जाती है। अब जबकि यह इतना महत्वपूर्ण है तो इसके कई प्रकार भी होते हैं। इन्हीं में से एक है मोंगूस बैट जिसे प्रतिबंधित कर दिया गया। 

मोंगूस बैट में किस तकनीक का उपयोग किया गया है


गुवाहाटी विश्वविद्यालय के पासआउट अमोद कुमार (Amod Kumar) बताते हैं कि 2010 के आईपीएल में बल्ला बनाने वाली एक नयी कम्पनी मोंगूस ने क्रिकेट के बल्ले के एक नए डिजाइन की घोषणा की जिसे मिनी मोंगूस कहा गया। इस बल्ले का ब्लेड छोटा और मोटा था और हैंडल लंबा था, ताकि यह बल्ले में गेंद को हिट करने के लिए अधिक क्षेत्र उपलब्ध करा सके और बड़े शॉट खेले जा सकें। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक अद्वितीय अल्प गुरुत्व केन्द्र बल्ले को अधिक तेज गति देता है और क्योंकि इसका ब्लेड छोटा होता है, इसलिए ब्लेड को समान वज़न के लिए मोटा बनाया जा सकता है। अर्थात बल्ले का अधिक हिस्सा गेंद को हिट करने के लिए उपलब्ध होगा।

मोंगूस बैट कितने खिलाड़ियों ने उपयोग किया


इस बल्ले का उपयोग एंड्रयू साइमंड्स, मैथ्यू हेडन, स्टुअर्ट लॉ, प्रणीत सिंह और ड्वेन स्मिथ के द्वारा किया जाता है। हालांकि इसमें कई कमियाँ हैं। छोटा होने के कारण यह सुरक्षात्मक बल्लेबाजी के लिए कम उपयोगी है और शोर्ट गेंद के लिए इतनी सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकता। इसका अर्थ यह है कि यह आक्रामक खेल में मदद करता है लेकिन सुरक्षात्मक खेल में लाभकारी नहीं है। यह ट्वेंटी -20 में इसकी उपयोगिता को प्रतिबन्धित करता है, जिसमें टेस्ट या चैम्पियनशिप क्रिकेट के बजाय आक्रामक बल्लेबाजी की जाती है, लम्बी पारी के लिए अधिक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। मैथ्यू हेडन ने इसी बल्ले से 43 बॉल में 92 रन ठोक कर एक IPL 2010 मैच में दिल्ली डेयरडेविल्स को ध्वस्त कर दिया था।

क्या इस बल्ले को बैन किया गया है ?

जी नहीं इस बल्ले को किसी बोर्ड ने अभी तक बैन नहीं किया है, खुद बल्लेबाजों ने ही इसका प्रयोग करना बंद कर दिया है क्योंकि यह विकेट बचाने में सफल नहीं हो पाया। कुछ देसी क्रिकेट टूर्नामेंट में आज भी इसका उपयोग किया जाता है। (यदि आपके पास भी है ऐसी ही कोई जानकारी जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता तो कृपया हमें लिख भेजिए। हमारा ईपता है: editorbhopalsamachar@gmail.com)

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