लोकसभा से जले कमलनाथ नगर और पंचायत फूंक-फूंककर लड़ेंगे, फिलहाल चुनाव टालने की कोशिश | MP NEWS

भोपाल। लोकसभा चुनाव नतीजों से घबराए सीएम कमलनाथ अब नगरीय निकाय एवं पंचायतों के चुनाव टालने का मन बना रहे हैं। वो चाहते हैं कि नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव कम से कम 6 महीने क लिए टाल दिए जाएंगे। यदि ऐसा हुआ तो नगरपालिकाओं में प्रशासक की नियुक्तियां की जाएंगी और नगर निगमों में कमिश्नर शासन बन जाएगा। 

जबलपुर और ग्वालियर में वार्ड संख्या बढ़ाने पर विचार

इस बीच बड़े शहरों में वार्ड बढ़ाने की भी चर्चा है। हालांकि भोपाल और इंदौर में अब वार्ड नहीं बढ़ेंगे। नियमानुसार किसी भी नगर निगम में 85 से ज्यादा वार्ड नहीं हो सकते है। भोपाल और इंदौर में 8585 वार्ड हो चुके हैं। हालांकि इन वार्डों का परिसीमन किया जा सकता है। जबलपुर और ग्वालियर में वार्डों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। परिसीमन एक अच्छा बहाना होगा जिसके आधार पर चुनाव टाले जा सकेंगे। 

सीएम कमलनाथ क्या चाहते हैं

दरअसल प्रदेश सरकार को अब तक अपने वचन पत्र को पूरा करने के लिए ज्यादा समय नहीं मिला है। सरकार का दावा है कि उसे काम करने के लिए अब तक सिर्फ 75 दिन ही मिल सके, इस दौरान उसने 83 वादे पूरे कर दिए थे, लेकिन ये सब वादे पूरी तरह से जमीन पर नहीं उतर सके थे, इसके चलते ही कांग्रेस को किसान कर्जमाफी का फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिल सका। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस अब ऐसी गलती नहीं करेगी। वह अधिकांश वादे पूरी तरह से जमीन पर उतारने के बाद ही नगरीय निकाय और पंचायत के चुनाव में उतरेगी। इसके चलते नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव 6 महीने आगे बढ़ाए जा सकते हैं। 

राज्य निर्वाचन आयोग ने परिसीमन और आरक्षण प्रक्रिया शुरू कर दी

राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायतों के परिसीमन को लेकर गाइड लाइन जारी की है। वहीं अध्यक्ष और महापौर पदों के आरक्षण को लेकर कार्रवाई शुरू हो गई है। नगरीय प्रशासन एवं विकास ने सभी जिलों के कलेक्टरों से जाति वार जनसंख्या की जानकारी मांगी है। नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त गुलशन बामरा ने कलेक्टरों को लिखी चिट्ठी में कहा है कि नगरीय निकायों की आम निर्वाचन 2019 के लिए मध्यप्रदेश नगर पालिका नियम के तहत महापौर और अध्यक्ष पद का आरक्षण किया जाना है। जिसके लिए वर्ष 2011 की जनगणना अनुसार नगरीय निकायों की जनसंख्या जरूरी है। इसलिए जिले की सभी नगरीय निकायों की जनसंख्या की जानकारी 7 जून तक उपलब्ध कराई जाए।

कब किसका कार्यकाल पूरा हो रहा है

जबलपुर, छिंदवाड़ा, भोपाल और इंदौर नगर निगम का कार्यकाल फरवरी 2020 में पूरा हो रहा है। ग्वालियर, सतना, रीवा, सिंगरौली, कटनी, देवास, खंडवा, बुरहानपुर नगर निगम का कार्यकाल जनवरी 2020 में पूरा हो रहा है। सागर नगर निगम का कार्यकाल इस वर्ष के दिसम्बर में ही पूरा हो रहा है। मुरैना, रतलाम, उज्जैन नगर निगम का कार्यकाल सितम्बर 2020 में पूरा होगा। यदि 6 माह चुनाव टलता है तो मई या जून में चुनी जाएगी शहर की सरकार। 

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