भोपाल। भारत में प्रावधान है कि कोई भी नियम जिस तारीख में अधिसूचित होता है, उसी तारीख से प्रभावी होता है। यानी अधिसूचना की तारीख से पहले हुई गड़बड़ी या अपराध को नए नियम के तहत दंडित नहीं किया जा सकता परंतु नर्सिंग कोर्स के मामले में ऐसा कुछ कर दिया गया है।
शैक्षणिक सत्र 2018-19 के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने नए मान्यता नियम जारी किए थे। यह नियम अक्टूबर 2018 में सामने आए थे, लेकिन उससे पहले ही जुलाई माह में कॉलेज संचालकों ने ऑक्सीलरी नर्सिंग मिडवाइफरी (एएनएम), जनरल नर्सिंग मिडवाइफरी (जीएमएन), बीएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग जैसे पाठ्यक्रमों में लगभग दो हजार स्टूडेंट्स के एडमिशन ले लिए। इनमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स अन्य राज्यों के हैं और दलालों के जरिए कॉलेजों में प्रवेश ले चुके हैं।
गत 20 अप्रैल को मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने प्रदेश के मान्यता प्राप्त कॉलेजों की फाइनल लिस्ट जारी की है, जिसमें प्रदेश के 351 कॉलेजों को शामिल बताया है। इसके चलते 350 के आसपास कॉलेज मान्यता से वंचित रह गए हैं। इनमें लगभग 30 हजार स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। इनमें से लगभग छह हजार स्टूडेंट्स ग्वालियर-चंबल संभाग के कॉलेजों से हैं। अब ये स्टूडेंट्स अपना साल बचाने या फीस का पैसा वापस पाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। कई कॉलेज संचालक भी छात्रहित की आड़ लेकर प्रयास कर रहे हैं कि उनके कॉलेजों को मान्यता मिल जाए।
एडमिशन संबंधी जानकारी लेता हूं
जिन कॉलेजों को काउंसिल की ओर से मान्यता जारी की गई है, स्टूडेंट्स को उन्हीं कॉलेजों में एडमिशन लेना चाहिए। बिना मान्यता वाले कॉलेजों में छात्रों के एडमिशन होने संबंधी मामले की मैं जानकारी लेता हूं। इसके बाद हम इस बारे में आगामी कार्रवाई करेंगे।
आनंद शर्मा, आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा विभाग
स्टूडेंट्स को एडजस्ट कर दिया है
चंबल अंचल के तीन कॉलेजों में गड़बड़ी का मामला पकड़ में आया था। हमने संबंधित कॉलेजों को चेतावनी पत्र जारी किए और छात्रों के नामांकन निरस्त किए। इन छात्रों का भविष्य बर्बाद न हो, इस कारण कॉलेजों की अगले वर्ष की सीट्स ब्लॉक कर इन स्टूडेंट्स को उन पर एडजस्ट किया गया है।
डॉ. आरएस शर्मा, कुलपति, मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी