हम बताते हैं 'बिजली रानी' बदचलन क्यों हो गई | MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री से लेकर कलेक्ट्रेट के संत्री तक सब एक पहेली का हल नहीं खोज पा रहे हैं कि यदि मध्यप्रदेश में मांग से अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है तो फिर यह अघोषित कटौती क्यों हो रही है। बिजली कंपनी के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि वो पहले से ज्यादा बिजली का वितरण कर रहे हैं। उन्होंने डाटा रिलीज कर दिया है। सीएम ​कमलनाथ के पास ग्राउंड जीरो की रिपोर्ट है जो बताती है कि कटौती लगातार जारी है। दरअसल, इस पहेली का हल है संबल योजना जिसका नाम बदलकर अब इंदिरा गृह ज्योति योजना रख दिया गया है। 

संबल योजना क्या है, किसने शुरू की

विधानसभा चुनाव से पहले तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संबल योजना लागू की थी। इसे चुनावी योजना भी कहा गया था। इस योजना के तहत गरीबों और मजदूरों को 200 रुपए प्रति माह के मान से अनलिमिटेड बिजली देनी थी। नगर निगम से मजदूरी कार्ड बनवाकर पूरे प्रदेश में 63 लाख उपभोक्ताओं ने योजना का लाभ लिया। विधानसभा चुनाव बाद प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो उसने योजना का नाम बदल दिया, लेकिन योजना के प्रावधान एवं उपभोक्ता यथावत रहे। 

गरीबों कीं संख्या तो बढ़ी ही, बिजली की खपत भी बढ़ गई

गरीबों को तो बिजली नसीब नहीं हुई, लेकिन फर्जी उपभोक्ता करोड़ों रुपए की बिजली जला गए। जब योजना की सबसिडी देने की बारी आई तो सरकार को पसीना आ गया। उसने आनन-फानन में आदेश जारी कर इंदिरा गृह ज्योति योजना का लाभ लेने वाले उपभोक्ताओं की जांच के आदेश दे दिए। इससे यह पता लगेगा कि आखिर प्रदेश में अचानक गरीबों की तादाद कैसे बढ़ गई। 

जांच में क्या होगा

जांच में इस बात का खुलासा हाेगा कि योजना का लाभ लेने वाले वास्तविक थे या नहीं? अगर गरीबों की बजाय अन्य उपभोक्ताओं ने बिजली जलाई है तो क्या उसकी वसूली हो पाएगी? अगर की जाएगी तो कैसे? आदेश में इस बात का साफ संकेत है कि जो उपभोक्ता अयोग्य पाए जाएंगे, उन्हें योजना से बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन इनसे वूसली का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। अयोग्य उपभोक्ताओं की सूची श्रम विभाग को सौंपी जाएगी, ताकि विभाग उन्हें अपनी सूची से निकाल सके। जांच के बाद प्रदेश के 63 लाख उपभोक्ताओं में से करीब 10 से 15 लाख उपभोक्ताओं के बाहर होने के आसार हैं। 

जांच के आदेश दिए हैं 

इस योजना को शुरू करने के पीछे शासन का मकसद उन गरीबों को राहत देना है, जिनकी वार्षिक आय 50 हजार से भी कम है। हमारी कोशिश है कि इस योजना से अपात्र लोगों को बाहर किया जाए। इसी कारण बिजली कंपनियों को जांच के आदेश दिए गए हैं। 
प्रियव्रत सिंह, ऊर्जा मंत्री 

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