भोपाल। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने 45 डिग्री तापमान में धधकते मध्यप्रदेश को बचाने के लिए शानदार योजना बनाई है। यदि भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ी तो 5 साल में पूरा प्रदेश हरियाली की चादर ओढ़ लेगा। पर्यावरण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने राजधानी के मिंटो हाल में बुधवार को हुए व्याख्यान देते हुए बताया कि अब सड़क किनारे पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए बजट का प्रावधान होगा।
पर्यावरण दिवस के अवसर पर खुलासा हुआ है कि भोपाल से किस तरह हरियाली गायब हो गई है। राजधानी के आठ रहवासी क्षेत्र और एक ईको सेंसिटिव जोन से हरियाली गायब हो गई है। ऐसा अनियोजित विकास और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण हुआ है। इसे नहीं रोका गया तो साल 2025 तक भोपाल शहर की हरियाली तीन फीसदी रह जाएगी। अभी यह नौ फीसदी है। ऐसी स्थिति में पर्यावरण का संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा। जल संकट की स्थिति काबू से बाहर होगी, गर्मी बर्दाश्त करना मुश्किल होगा। कुल मिलाकर जीवन यापन मुश्किल होगा। यह खुलासा पर्यावरण विद् डॉ. सुभाष सी पांडे की रिपोर्ट में हुआ है।
पांडे ने विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2019 के एक दिन पहले मंगलवार को रिपोर्ट जारी की थी। यह रिपोर्ट भोपाल शहर में 10 साल पहले की हरियाली व मौजूदा हरियाली को लेकर तैयार की गई है। इसके लिए कुल 13 स्थान चुने गए थे। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इनमें से 9 स्थानों पर पेड़ों की कटाई के कारण हरियाली खत्म हुई है, जबकि 4 स्थानों पर हरियाली का स्तर बढ़ा है या स्थाई बना हुआ है। यह रिपोर्ट साइड विजिट, गुगल इमेजनरी की मदद, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंगलुरु के प्रो. टीवी रामचंद्रन द्वारा भोपाल की हरियाली को लेकर साल 2016 में प्रकाशित रिसर्च पेपर व अन्य पैरामीटर की मदद से तैयार की गई है। हरियाली कम होने की वजह अनियोजित विकास, जनसंख्या वृद्घि, जल स्त्रोतों का सूखना, वाहनों से फैलने वाला प्रदूषण व भू-जल में गिरावट व अन्य को बताया है। इसके लिए नगर निगम, सीपीए, सामान्य वन मंडल समेत स्थानीय शासकीय एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया है।