भोपाल। शिवराज सिंह चौहान आज पहली बार वास्तव में गुस्से में नजर आए। वो इतना नाराज हुए कि भदभदा जा पहुंचे और आदिवासियों के ट्रेक्टर पर सवार होकर उन्हे न्यू मार्केट तक लेकर आए। दरअसल, पुलिस ने उन सभी आदिवासियों को भोपाल में घुसने से रोक दिया था जिन्हे शिवराज सिंह संबोधित करने वाले थे। अब यह बताने की तो जरूरत ही नहीं कि शिवराज सिंह चौहान बचपन से ही भीड़ और भाषण की लत के शिकार हैं।
घटनाक्रम क्या हुआ
शिवराज सिंह को सदस्यता अभियान का प्रमुख बनाए जाने के बाद यहां चर्चाएं गर्म हुईं कि अंतत: शिवराज सिंह को मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर कर ही दिया गया। शिवराज सिंह पिछले 6 माह में कई बाद महारानी लक्ष्मी्बाई की तरह ऐलान कर चुके हैं कि 'मैं मध्यप्रदेश नहीं छोडूंगा।' अपनी सक्रियता और पकड़ दिखाने के लिए शिवराज सिंह ने आदिवासियों के वर्षों पुराने वन अधिकार मुद्दे को फिर से उठाया और एक प्रदर्शन की तैयारी कर डाली। बुदनी से आदिवासी जब भोपाल आ रहे थे तो प्रशासन ने उन्हे भदभदा पर यह कहते हुए रोक दिया कि भोपाल शहर में ट्रेक्टर लेकर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बस इसी बात पर शिवराज सिंह भड़क गए।
शिवराज सिंह और भाषण की लत
यह तो सबको पता है कि शिवराज सिंह चौहान को बचपन से ही भाषण देने का शौक रहा है। बुदनी में वो सड़क किनारे नमक की बोरी पर खड़े होकर अकेले ही भाषण दिया करते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद तीसरे कार्यकाल में उनका यह शौक, लत यानी एक बीमारी में बदल गया। अपने तीसरे कार्यकाल में उन्होंने सिर्फ भाषण देने के लिए सरकारी खर्च पर कई ऐसे आयोजन कराए जिनकी प्रदेश के हित में कोई जरूरत ही नहीं थी। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद भी उन्होंने कोई 1 सप्ताह ऐसा नहीं जाने दिया जब भाषण ना दिया हो। आज भोपाल प्रशासन ने उनकी भीड़ को उस वक्त रोक लिया जब वो भाषण देने की तैयारी कर रहे थे।