भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा में 'मैं बड़ा' की प्रतियोगिता जारी है। पिछले दिनों राकेश सिंह ने रणनीति बनाकर शिवराज सिंह को पीछे धकेलने की कोशिश की। कैलाश विजयवर्गीय ने किसान आक्रोश यात्रा निकालकर अपनी ताकत दिखाई तो शिवराज सिंह ने आज 'आदिवासी अधिकार यात्रा' के माध्यम से ना केवल जवाब दिया बल्कि यह साबित भी किया कि 'टाइगर ना केवल जिंदा है, बल्कि पॉवरफुल भी है।
शिवराज सिंह ने आज क्या किया
शिवराज सिंह के नाम के आगे भले ही पूर्व लग गया हो परंतु वो किसी भी स्थिति में 'पूर्व' होने को तैयार नहीं हैं। आज उन्होने आदिवासी अधिकार यात्रा का आयोजन किया। यह बुदनी विधायक शिवराज सिंह की तरफ से किया गया प्रदर्शन था। प्रशासन ने भोपाल की सीमा पर आदिवासियों को रोका तो शिवराज सिंह हीरो की तरह गए और सभी आदिवासियों को शहर में ले आए। फिर आदिवासियों ने शिवराज सिंह को कंधे पर उठाया और अंत में शिवराज सिंह आदिवासियों के प्रतिनिधि मंडल को लेकर सीएम कमलनाथ से मिलने गए। सीएम कमलनाथ ने भी उन्हे पूरा समय और सम्मान दिया। इस तरह शिवराज सिंह ने साबित किया कि वो केवल दिखावा नहीं कर रहे। उनकी पकड़ भी मजबूत है। सरकार कांग्रेस की है तो क्या हुआ। शिवराज सिंह की सुनवाई में कसर नहीं रहती।
कैलाश विजयवर्गीय ने क्या किया था
कैलाश विजयवर्गीय ने करीब 10 दिन पहले किसान आक्रोश यात्रा का आयोजन किया था। इस यात्रा के माध्यम से कैलाश विजयवर्गीय ने यह साबित करने की कोशिश की थी कि वो अपने क्षेत्र के सबसे लोकप्रिय और भाजपा के पॉवरफुल नेता हैं। उनके समर्थकों ने दावा दोहराया कि अब कैलाश विजयवर्गीय ही भाजपा का चेहरा होंगे।
दोनों के बीच क्या अंतर रहा
कैलाश विजयवर्गीय ने किसानों को बुलाया। प्रदर्शन किया। भाषण सुनाए और वापस भेज दिया।
शिवराज सिंह ने ना केवल प्रभावी प्रदर्शन किया बल्कि आदिवासियों को सीएम कमलनाथ से मिलवाया। मुख्यसचिव कीे मौजूदगी में मांगों पर बातचीत करवाई।