भोपाल। जिला उपभोक्ता फोरम ने पुणे के शिक्षण संस्थान के खिलाफ फैसला सुनाते हुए एक छात्रा की फीस वापस करने के आदेश दिए हैं। मामले की सुनवाई अध्यक्ष न्यायाधीश आरके भावे, सदस्य सुनील श्रीवास्तव और क्षमा चौरे की बेंच ने की। बेंच का कहना था कि जब स्टूडेंट ने पढ़ाई नहीं की ताे फीस किस बात की। मामले में फोरम ने कॉलेज में जमा राशि 1 लाख 90 हजार रुपए छात्रा को वापस करने और मानसिक पीड़ा के लिए 8 हजार रुपए हर्जाना देने के आदेश दिए।
जबलपुर की अर्पिता द्विवेदी ने पुणे की शिक्षण संस्थान साई बालाजी एजुकेशन सोसायटी ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के खिलाफ परिवाद दायर किया था। चूंकि संस्थान की शाखा भाेपाल के मानसरोवर कॉम्पलेक्स में स्थित है इसलिए द्विवेदी ने भोपाल उपभोक्ता फोरम में 5 नंवबर 2012 को परिवाद दायर किया। उन्होंने परिवाद में बताया कि भोपाल स्थित शाखा के माध्यम से उन्होंने पुणे स्थित साई बालाजी एजुकेशन सोसायटी में एडमिशन लिया था। वे संस्थान से पीजीडीएम (पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट) का 2 वर्षीय पाठ्यक्रम करना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने जुलाई 2011 संस्थान में प्रवेश के लिए 1 लाख 90 हजार रुपए फीस के तौर पर जमा किए थे।
संस्था में एडमिशन लेने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई थी। इससे वे एक भी दिन क्लास अटेंड नहीं कर पाईं। इस बात की जानकारी उन्होंने संस्थान को दे दी थी। जब वे फीस लेने पहुंचीं, तो संस्थान ने फीस वापस नहीं की। संस्थान की ओर से उपस्थिति एडवोकेट ने पक्ष रखते हुए कहा कि आवेदिका जुलाई में कॉलेज नहीं पहुंची। अगस्त 2011 को कॉलेज अटेंड किया और हॉस्टल में रही। अचानक उन्होंने कॉलेज बंद कर दिया। ऐसे में संस्थान के नियमों के अनुसार फीस वापस नहीं की जाती। इसकी जानकारी संस्थान के प्रोस्पेक्टस में लिखी है। फोरम की बेंच ने संस्थान के तर्क को खारिज कर दिया।