भोपाल। लोकसभा चुनाव हारे ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठी थी परंतु एक बार फिर लॉबइंग काम कर गई और सिंधिया का नाम कट कर दिया गया। प्रस्तावित किया गया है कि प्रदेश अध्यक्ष आदिवासी होना चाहिए। कमलनाथ ने अपनी टीम से मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का नाम आगे बढ़ाया है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंत्री उमंग सिंघार का नाम आगे बढ़ा दिया। दिग्विजय सिंह हमेशा की तरह दोनों की चाल देखकर अपना तानाबाना बुन रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया और अजय सिंह राहुल जैसे नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आने से रोकने के लिए तय किया गया कि प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष का पद आदिवासी नेता को ही दिया जाए। इसकी वजह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पार्टी ने प्रदेश की 47 ट्राइबल सीटों में से 30 पर जीत दर्ज की थी, जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई जो कांग्रेस से ही बागी होकर चुनाव लड़े थे। इस बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 28 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। लेकिन आदिवासी बहुल जिलों का खासा वोट कांग्रेस पार्टी को मिला। इसी के चलते पार्टी के भीतर इसी वर्ग से किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग भी उठ रही है।
सूत्रों के अनुसार ज्योतिरादित्य सिंधिया और अजय सिंह राहुल जैसे नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आने से रोकने के लिए तय किया गया कि प्रदेश में कांग्रेस अध्यक्ष का पद आदिवासी नेता को ही दिया जाए। इसकी वजह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पार्टी ने प्रदेश की 47 ट्राइबल सीटों में से 30 पर जीत दर्ज की थी, जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई जो कांग्रेस से ही बागी होकर चुनाव लड़े थे। इस बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 28 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। लेकिन आदिवासी बहुल जिलों का खासा वोट कांग्रेस पार्टी को मिला। इसी के चलते पार्टी के भीतर इसी वर्ग से किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की मांग भी उठ रही है।