जबलपुर। हाईकोर्ट ने एमपी पीएससी को आदेशित किया है कि असिस्टेंट प्रोफेसर्स की संशोधित चयन सूची 15 दिन में जारी की जाए। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने यह आदेश अनारक्षित महिला वर्ग के 33 प्रतिशत आरक्षण में एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं को आरक्षण दिए जाने के मामले में दायर याचिकाओं में दिया है।
भोपाल निवासी एकता जैन, पिंकी असाटी और अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि एमपी पीएससी ने वर्ष 2017 में प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में लगभग तीन हजार असिस्टेंट प्रोफसर्स के पद के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें अनारक्षित महिलाओं के 33 प्रतिशत पद आरक्षित किए गए थे। 18 अप्रैल 2018 को पीएससी की ओर से जारी चयन सूची में 33 प्रतिशत अनारक्षित महिला वर्ग की सीटें एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग की महिलाओं से भर दिए गए। इससे अनारक्षित वर्ग की महिलाओं की सीटें आरक्षित वर्ग की महिलाओं के हिस्से में चली गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से सुयश मोहन गुरु, मानस मणि वर्मा और हितेन्द्र सिंह ने तर्क दिया कि अनारक्षित महिला वर्ग के लिए क्षैतिज आरक्षण किया गया था, जो कम्पार्टमेंट वाइज था। पीएससी ने अनारक्षित महिला वर्ग के आरक्षित सीटों से भर दिया गया।
अनारक्षित महिलाओं की ही नियुक्ति की जा सकती है
अनारक्षित वर्ग की महिला के कोटे में केवल अनारक्षित महिलाओं की ही नियुक्ति की जा सकती है। राज्य शाासन की ओर से कार्यवाहक महाधिवक्ता शशांक शेखर ने कहा कि गलत गणना की वजह से त्रुटि हुई है। इस त्रुटि को सुधारा जा रहा है। एमपीपीएससी की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने एमपी पीएससी को 15 दिन के भीतर संशोधित चयन सूची जारी करने का आदेश दिया है।