भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया के सितारे इन दिनों अच्छे नहीं चल रहे हैं। 'सिंधिया राजवंश' के इतिहास में जो किसी के साथ नहीं हुआ वो सब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ हो रहा है। लोकसभा चुनाव में खुद की शर्मनाक हार के बाद वो उत्तरप्रदेश में हुए सूपड़ा साफ की समीक्षा करने लखनऊ गए थे। नवाबों में शहर में 'ग्वालियर के महाराज' को कांग्रेसियों ने जमकर खरी-खरी सुनाई।
पार्टी की मजबूती के लिए प्रयोग बंद कीजिए
शुक्रवार को लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के दौरान कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने पश्चिमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने कहा कि 'जिस सेना का सेनापति कन्फ्यूज होता है, वह सेना हार ही जाती है महाराज। हमारे सेनापति आखिर तक यह तय नहीं कर पाए कि कार्यकर्ताओं को लड़ाना है या पैराशूट प्रत्याशियों को। यही कन्फ्यूजन पार्टी की इस बुरी हार का कारण बना। पार्टी की मजबूती के लिए अब प्रयोग बंद कीजिए।'
कई वरिष्ठ नेता बुलाने पर भी नहीं आए
ज्योतिरादित्य के साथ जहां प्रभारी सचिव रोहित चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर मौजूद थे, वहीं पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस बैठक से किनारा कर लिया। राज बब्बर भी पश्चिमी यूपी की फतेहपुर सीट से पार्टी के प्रत्याशी थे और उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। 30 जून तक सभी राज्यों के प्रभारियों को समीक्षा रिपोर्ट एआईसीसी को सौंपनी है। इस बैठक से जो बड़े कांग्रेस नेता गायब रहे, उनमें जितिन प्रसाद, इमरान मसूद, सलमान खुर्शीद और श्री प्रकाश जायसवाल शामिल हैं। कई कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि दिल्ली-एनसीआर के नजदीक के प्रत्याशियों को दिल्ली में एक अन्य मीटिंग में हिस्सा लेना था, इसलिए वे नहीं आए हैं।
बैठक के बाद सिंधिया ने कहा: मैं कार्यकर्ताओं से सहमत हूं
बैठक में भाग लेने वाले 28 प्रत्याशियों में से एक ने कहा, 'अनुपस्थित रहने वाले बड़े नेताओं के साथ पार्टी अलग व्यवहार क्यों करती है। लखनऊ दिल्ली से दूर नहीं है। हम भी दिल्ली जा सकते थे।' बैठक के बाद ज्योतिरादित्य ने ट्वीट कर कहा, 'कार्यकर्ताओं की बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं कि यूपी में 2022 विधानसभा चुनाव जीतने के लिए संगठन को मजबूत करना बेहद आवश्यक है।'
सिंधिया के प्रभार में 39 सीटें थीं, एक भी नहीं जीत पाए
कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के हिस्से में यूपी की 39 लोकसभा सीटें आती हैं। पश्चिमी यूपी में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और पार्टी यहां कोई सीट नहीं जीत पाई। हालांकि, कांग्रेस का प्रदर्शन पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी ठीक नहीं रहा। रायबरेली छोड़ कांग्रेस अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की परंपरागत अमेठी सीट भी हार गई। ज्योतिरादित्य पश्चिमी यूपी की 39 में 14 सीटों की समीक्षा पिछले दिनों दिल्ली में कर चुके हैं। बाकी 25 सीटों की समीक्षा के लिए कांग्रेस नेताओं, प्रत्याशी, जिला और शहर अध्यक्षों के साथ लोकसभा को-ऑर्डिनेटरों को भी लखनऊ बुलाया गया था। इस दौरान धौरहरा से जितिन प्रसाद और सीतापुर से कैसरजहां को छोड़ कर बाकी सभी 23 प्रत्याशी मौजूद रहे।