नई दिल्ली। खबर आ रही है कि प्राइवेट ट्रेन की तैयारियां पूरी हो चुकीं हैं। सरकारी पटरियों पर प्राइवेट ट्रेन दौड़ लगाएंगी। रेलवे बोर्ड ने 100 दिन का एक्शन प्लान बनाया है। इसमें देश की दो प्रीमियम ट्रेनों को निजी क्षेत्र की मदद से चलाया जाएगा। पहली ट्रेन लखनऊ से दिल्ली के बीच चलेगी। जबकि दूसरी ट्रेन अभी तय नहीं हुई है।
ऊंची बोली लगाने वाली निजी कंपनी को मिलेगी
लखनऊ के पत्रकार श्री निशांत यादव की रिपोर्ट के अनुसार तेजस एक्सप्रेस को निजी क्षेत्र की मदद से चलाया जाएगा। शुरुआत में इस ट्रेन की टिकटिंग, बोर्डिंग और खानपान की जिम्मेदारी रेलवे की संस्था भारतीय रेलवे खानपान पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) की होगी। जिसे बाद में एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट के जरिए ऊंची बोली लगाने वाली निजी कंपनी को सौंपा जाएगा।
रैक लखनऊ पहुंच गया है
रेलवे बोर्ड ने 11 क्षेत्रों में नई सुविधाएं देने का एक्शन प्लान बनाया है। जिसके तहत 100 दिनों में इसे लागू करने की समय सीमा तय की गई है। रेल कोच फैक्ट्री से तेजस एक्सप्रेस का रैक लखनऊ पहुंच गया है। इस ट्रेन को चलाने का जिम्मा जोनल रेलवे की जगह आइआरसीटीसी को देने के लिए बोर्ड मुख्यालय में एक बैठक भी हो गई है। इस पर अंतिम निर्णय एक सप्ताह के भीतर होगा।
ट्रेन का किराया भी कंपनी तय करेगी
आइआरसीटीसी रैक को लीज पर रेलवे बोर्ड से लेगा और इसका शुल्क भी देगा। रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अभी आइआरसीटीसी गतिमान एक्सप्रेस की तर्ज पर पांच सितारा होटल से खानपान की सुविधा देगा। ट्रेन का किराया भी रेलवे बोर्ड की जगह आइआरसीटीसी तय करेगा। इस ट्रेन में सब्सिडी नहीं मिलेगी। जिससे किराया शताब्दी एक्सप्रेस से अधिक जरूर होगा, लेकिन सुविधाएं विमानों से बेहतर दी जाएंगी।
रेलवे सिर्फ रैक बनाएगा और क्रू स्टाफ मुहैया कराएगा
आइआरसीटीसी अपनी वेबसाइट पर इस ट्रेन के टिकट बेचेगा और आरक्षण चार्ट बनाने के साथ अपने टीटीई तैनात करेगा। पहले ट्रेन की ब्रांडिंग आइआरसीटीसी करेगा। जबकि निजी क्षेत्र में आने के बाद यह काम कंपनी का होगा। इससे प्रदेश के पर्यटन स्थलों का प्रचार प्रचार बोगियों पर विनायल पेंट से कर आमदनी हासिल की जा सकेगी। इसके बाद मुख्य पर्यटन स्थलों और बड़े शहरों को भी ऐसी ही ट्रेनों से जोड़ा जाएगा। रेलवे का काम रैक बनाकर आइआरसीटीसी को सौंपने और अपना क्रू स्टाफ मुहैया कराने का होगा।
कंपनी रेल से किसी भी तरह की कमाई कर सकती है
ट्रेन का नाम भी आइआरसीटीसी तय करेगा। जिसके बाद हॉलेज (किराया और रखरखाव व एक स्थान पर रैक को रखे जाने का खर्च) की स्टडी करके आइआरसीटीसी इसे निजी क्षेत्र में चलाने के लिए एक न्यूनतम बोली तय करेगा। ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी से प्राप्त आय का एक हिस्सा रेलवे को मिलेगा। जबकि आइआरसीटीसी को एक तय फीस मिलेगी। शेष कॉमर्शियल गतिविधियों से निजी कंपनी आय हासिल करेगी। एक सप्ताह में बोर्ड विस्तृत गाइड लाइन जारी करेगा।